वाशिंगटन । कोरोना जैसी महामारी में भी ठगों ने धोखाधड़ी करने का मौका नहीं छोड़ा हैं। अमेरिका से आई हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आपदा में अवसर खोजने वालों ने कोरोना माहमारी के दौरान 200 अरब डॉलर यानी करीब 16 लाख करोड़ रुपये का फर्जी लोन उठा लिया। यह रकम कई देशों की जीडीपी से भी ज्‍यादा है। अमेरिकी वॉच डॉग ने रिपोर्ट जारी कर इसके आंकड़े सामने रखे तब बाइडेन सरकार भी सकते में आ गई। 
महानिरीक्षक कार्यालय ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि कोविड के दौरान सरकार ने छोटे कारोबारियों को मदद पहुंचाने के लिए बड़ी संख्‍या में कर्ज मुहैया कराया था। इसमें से करीब 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज फर्जी तरीके से उठाया गया है। कोरोना महामारी के दौरान स्‍मॉल बिजनेस एडमिनिस्‍ट्रेश ने 12 खरब डॉलर के लोन बांटे थे। इसका 17 फीसदी यानी करीब 200 अरब डॉलर फर्जीवाड़ा करने वालों ने उड़ा लिया। 
महानिरीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसबीए की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान इकोनॉमिक इंजरी डिजास्‍टर लोन प्रोग्राम के तहत बांटे गए 136 अरब डॉलर के कर्ज को फर्जी तरीके से उठा लिया गया। वहीं, पेचेक प्रोटेक्‍शन प्रोग्राम लोन के तहत 64 अरब डॉलर चोरी किए गए। इस दौरान एसबीए ने दोनों प्रोग्राम में क्रमश: 400 अरब डॉलर और 800 अरब डॉलर का लोन बांटा था। 
ठगी के द्वारा लोन के रूप में उठाई गई राशि कई देशों की जीडीपी से भी ज्‍यादा है। एशिया और अफ्रीका के कई देश हैं, जिनकी कुल जीडीपी भी 200 अरब डॉलर से कम ही है। ट्रंप एडमिनिस्‍ट्रेशन ने शुरुआत में तब कुछ महीने तक अंधाधुंध लोन बांटा, लेकिन बाद में लोन को कंट्रोल कर लिया। उन्‍होंने कहा कि महानिरीक्षक की रिपोर्ट में ईआईडीएल प्रोग्राम के तहत 34 फीसदी फ्रॉड की दर तर्कसंगत नहीं है। यह एसबीए के मौजूदा रीपेमेंट डाटा से भी मेल नहीं खाता है। 
एसबीए ने बताया है कि उसकी ओर से बांटे गए कुल कर्ज में से 12 फीसदी हैं, जिनके पिछले लोन बकाया थे या फिर ये बिजनेस बंद हो चुके हैं और उनका कोई भी रीपेमेंट नहीं मिला। 74 फीसदी बिजनेसेज ने या तो पूरी तरह से रीपेमेंट कर दिया है या फिर लौटाना शुरू कर दिया है। 14 फीसदी ने कर्ज लौटाने में कुछ देरी की है। 
महानिरीक्षक ऑफिस ने अपनी जांच में बताया है कि 1000 से ज्‍यादा फर्जीवाड़े के मामले सामने आए जिनमें 803 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और 529 ने अपना अपराध कबूल भी कर लिया है। जांच टीम ने 30 अरब डॉलर यानी करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये का लोन फर्जीवाड़ा करने वालों से रिकवर भी कर लिया है। जांच प्रक्रिया अब भी जारी है और फर्जीवाड़ा करने वालों की पहचान की जा रही है।