आरटीआई एक्टिविस्ट व अधिवक्ता रितेश शर्मा ने की ओर से लगाई गई याचिका में कहा गया है कि, 24 दिसंबर 2018 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसे राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। इसमें कहा गया है कि, प्रिंटेड पेपर्स में उपयोग की गई स्याही सेहत के लिए नुकसानदायक है।

होटल, स्ट्रीट फूड के स्टॉलों में अखबार या दूसरे प्रिंटेड पेपर्स में खाने-पीने का सामान परोसे जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि, अखबार या अन्य प्रिंटेड पेपर में रखकर खान-पान की चीजें देने का प्रचलन अभी भी जारी है। यह सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसे लेकर साल 2018 में केंद्र सकार ने अधिसूचना जारी कर रोक लगा दी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसका पालन नहीं हो रहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने अभी तारीख तय नहीं की है।  

आरटीआई एक्टिविस्ट व अधिवक्ता रितेश शर्मा ने की ओर से लगाई गई याचिका में कहा गया है कि, 24 दिसंबर 2018 को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसे राजपत्र में प्रकाशित किया गया था। इसमें कहा गया है कि, प्रिंटेड पेपर्स में उपयोग की गई स्याही सेहत के लिए नुकसानदायक है। जिसकी वजह से खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) अधिसूचना के अनुसार अखबार या अन्य प्रिंटेड सामग्री का उपयोग भोजन के भंडारण और लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा। यह प्रावधान एक जुलाई 2019 से पूरे देश में लागू है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस पर अमल नहीं हो रहा है।