बीजिंग । इन ‎दिनों चीन में गधों की भारी ‎डिमांड के चलते कंगाल पा‎‎किस्तान से आयात करने के ‎लिए लाला‎यित है। जहां एक तरफ पूरी दुनिया गधे की उपयोगिता को नकारती है तो वहीं दूसरी तरफ चीन में गधे की डिमांड ने हर किसी को हैरान कर दिया है। दरअसल, चीन में पारंप‎रिक दवा बनाने में गधे की खाल का उपयोग होता है इस‎लिए गधे की खाल की मांग चीन में बहुत ज्यादा है। इसके चलते चीन में गधों की संख्या कम होने पर मजबूरन अफ्रीका और पाकिस्तान जैसे अन्य क्षेत्रों से गधे मंगाने पड़ते हैं। जानकारी के अनुसार चीन में गधे की खाल का प्रयोग एनीमिया, प्रजनन संबंधी समस्याओं और अनिद्रा के उपचार सहित कई कथित औषधीय लाभ में किया जाता है। हालांकि इन दावों में क्लीनिकल प्रमाण की कमी है।
गधे की खाल से प्राप्त प्राथमिक उत्पाद को इजाओ कहा जाता है, जो एक पारंपरिक दवा है जिसका उपयोग चीन में हजारों वर्षों से किया जाता रहा है। पहले इस दवा का इस्तेमाल चीन के शाही वर्ग करते थे। लेकिन अब इसकी डिमांड चीन के मध्यम वर्गीय लोगों के बीच में बढ़ गई है। इस दवा के उत्पादन में गधे की खाल से निकाले गए कोलेजन को चीन के शेडोंग प्रांत के खनिज युक्त पानी के साथ मिलाया जाता है। 
गौरतलब है ‎कि दवा बनाने के ‎लिए गधे की त्वचा को 99 अलग-अलग चरणों में उबालने के बाद कोलेज प्राप्त किया जाता है। चीन की फैक्ट्रियां गधे की खाल से सौंदर्य उत्पाद बनाकर लाखों डॉलर कमाती हैं। गधे की खाल के आयात को आसान बनाने के लिए सरकार ने आयात कर को 5 प्र‎‎तिशत से घटाकर 2 प्र‎‎तिशत कर दिया है। बता दें कि पाकिस्तान गधों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जबकि अफ्रीका में इसका उत्पादन सबसे अधिक है। चीन में गधों की अनुमानित आबादी 4.9 मिलियन है। 
पाकिस्तान हाल के वर्षों में चीन को गधों का निर्यात कर रहा है, डेरा इस्माइल खान और मनसेहरा में स्थित दो प्रमुख गधा फार्मों में विदेशी भागीदारी शामिल है। जीवित गधों के अलावा, पाकिस्तान से चीन को गधे की खाल के अवैध निर्यात के भी मामले सामने आए हैं। चूंकि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है, इसलिए यह एक गंभीर अपराध है, जिसके चलते सरकार को गधे और गधे की खाल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। 2014 और 2016 के बीच पाकिस्तान ने चीन को लगभग 200,000 गधों की खाल का निर्यात किया।