Kaal Sarp Dosh: हिंदू शास्त्र में दो दोषों का काफी जिक्र किया जाता है. एक पितृ दोष और दूसरा काल सर्प दोष. किसी जातक की कुंडली में इन दोषों मे से कोई एक दोष है तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बात काल सर्प दोष की करें तो यह जीवन में कई तरह के दुष्परिणाम लेकर आता है. आइये जानते हैं इसके कारण और बचने के उपाय. इस मामले पर लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि जब कोई जातक जन्म लेता है तो उसकी कुंडली में तमाम योग रहते हैं. कुछ अच्छे तो कुछ बुरे. इनके असर जीवनभर रहते हैं. उन्होंने कहा कि काल सर्प दोष के चलते जातक को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक तीनों प्रकार की समस्याएं परेशान करती हैं.

कालसर्प दोष का कारण
कुंडली में जब राहु और केतु एक तरफ और बाकी ग्रह दूसरी तरफ आ जाते हैं या राहु और केतु के कारण पैदा हुई ग्रहीय स्थिति के कारण कालसर्प दोष पैदा होता है.

कालर्सप दोष के संकेत
सपने में बार बार सांप का दिखाई देना, मन में अकारण भय का व्याप्त होना, परिवार में कलह, कार्यों में असफलता, धन हानि जैसे कारण कालसर्प दोष के संकेत माने जाते हैं.

काल सर्पदोष से हानि
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अगर कुंडली में कालसर्प दोष है तो जातक को जीवनभर आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ता है. वहीं, दंपति को संतान सुख भी नहीं मिलता. रोजगार संबंधी परेशानियां पीछा नहीं छोड़ती हैं. वहीं, जातक कर्ज के जाल में भी फंसा रहता है. कर्ज कम होने का नाम ही नहीं लेते. कार्यों में सफलता नहीं मिलती है.

12 तरह के होते हैं कालसर्प दोष
हिंदू शास्त्र में 12 तरह के कालसर्प दोष बताए गए हैं.
1: अनंत कालसर्प दोष
2: कुलिक कालसर्प दोष
3: वासुकि कालसर्प दोष
4: शंखपाल कालसर्प दोष
5: पद्म कालसर्प दोष
6: महपद्म कालसर्प दोष
7: तक्षका कालसर्प दोष
8: कर्कोटक कालसर्प दोष
9: शंखचूड़ काल सर्प दोष
10: घातक कालसर्प दोष
11: विषधर काल सर्प दोष
12: शेषनाग कालसर्प दोष

कालसर्प दोष के उपाय
1- कालसर्प दोष को दूर करने के लिए जातक को अपने घर में मोरपंख रखना चाहिए.
2- अगर हो सके तो मोरपंख धारण किए कृष्ण भगवान की प्रतिमा भी लगा सकते हैं.
3- पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए.
3- वहीं, किसी ज्योतिषी से प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक भी करवाना चाहिए.
5- रुद्राक्ष की माला से करीब 1 लाख 32 हजार बार
महामृत्युंजय मंत्र
का जाप करें.
6- मां भगवती के दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
7- हर सोमवार को शिवलिंग पर दूध, गंगाजल मिश्रित जल और शहद चढ़ाएं. इसके साथ-साथ तांबे का सांप भी चढ़ा सकते हैं.