भोपाल ।   मैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहता था। अर्जुन सिंह ने मुझे बुलाया और कहा कि आप चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, मैंने इंदिरा जी से बात कर ली है। मेरे पास न कहने का कोई कारण ही नहीं था और मैंने चुनाव लड़ा। यह बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कही। वे शनिवार को रवींद्र भवन में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह की पत्नी स्व. सरोज कुमारी के मुहावरों की पुस्तक विंध्य की बेटी: मुहावरों से झलकती ममता के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कमलनाथ ने पुस्तक का विमोचन भी किया। कमल नाथ ने कहा कि सरोज कुमारी मेरी बहन जैसी थीं। मैं और अर्जुन सिंह चुनाव प्रचार से देर रात लौटते थे तो वे हमारा इंतजार करती मिलती थीं। 1985 में अर्जुन सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बन गए थे। वे मंत्रिमंडल विस्तार के लिए राजीव गांधी से मिलने दिल्ली गए थे। राजीव जी पंजाब को लेकर चिंतित थे। मैं कुछ समझ गया था, लेकिन शाम की भेंट में मैंने यह बात अर्जुन सिंह को नहीं बताई।

एमपी राजीव जी ने अर्जुन सिंह को सौंपा

दूसरे दिन वे जब राजीव जी से मिले तो उन्होंने उनसे कह दिया कि मेरी चुनौती मध्य प्रदेश नहीं, पंजाब है और मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता। मप्र के मुख्यमंत्री के लिए नाम तय करने का जिम्मा भी राजीव जी ने उन्हीं पर छोड़ दिया था। वहां से लौटकर आए और मोतीलाल बोरा जी को फोन लगाकर भोपाल बुलाया।

कमलनाथ ने कई संस्मरण सुनाए

कमलनाथ ने उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाए। इससे पहले स्व सरोज कुमारी की पुत्री वीणा सिंह ने मां के संघर्ष और समर्पण की कहानी सुनाई। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने उन्हें समावेशी विकास का पुरोधा बताया। उद्योगपति सैम वर्मा ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि भाभी जी मेरी माता तुल्य थीं।