देवी काली के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में दिल्ली का कालका मंदिर विशेष स्थान रखता है. देश भर से शृद्धालु यहां दर्शनों हेतु आते हैं. हाल फिलहाल मंदिर को लेकर प्रशासन की ओर से कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं.

इन बदलावों के द्वारा भक्त और भी सुविधाओं के द्वारा मंदिर के दर्शनों का लाभ उठा पाएंगे तथा साथ ही माता का आशीर्वाद पाएंगे. इस समय कालका म्म्दिर में प्रशासन की ओर से यहां आने वाले शृद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड की व्यवस्था को कड़ा किया गया है तथा साथ ही माता को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद भी अपब प्रशासन के द्वारा ही निर्धारित होते हुए समान रुप से चढ़ाया जा सकेगा. हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी वर्ग का हो वह समान रुप से माता के समक्ष अपनी भक्ति को प्रकट कर पाएगा. सभी एक ही प्रसाद को देवी पर अर्पित करेंगे.

पौराणिक मान्यताओं का स्थान
अपनी पौराणिक कथाओं के आधार पर यह स्थना शक्ति पीठ एवं जागृत सिद्ध स्थलों में से एक के रुप में जाना जाता है. देवी के कालका रुप की पूजा यहां होती है. साल भर यहां भक्तों के दर्शनों का जमावड़ा लगा ही रहता है. नवरात्रि जैसे पर्व के समय पर यहां की रौनक सभी को मोहित कर लेने वाली होती है. दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर को शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है. यहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान काफी संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कालकाजी मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार बड़ी मात्रा में प्रसाद भी चढ़ाते हैं, लेकिन अब प्रसाद के रूप में कई चीजें चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

आइए अब जानते हैं कि कालका जी मंदिर से जुड़े बदलाव
देवी मंदिर की पवित्रता एवं उसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए सभी भक्तों को उचित रुप से पोशाक धारण करने की सलाह दी गई है. संस्कृति को ध्यान में रखते हुए सभी चाहे वह पुरुष हों या महिला सभी के लिए शालिनता पूर्ण उचित ड्रेस कोड का पालन करने का आग्रह किया गया है जिसका कड़ाई से पालन करने की बात भी कही गई है और जो लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं उन्हें बाहर से ही दर्शन करने की अनुमति मिलेगी अंदर प्रवेश प्राप्त न हो पाएगा.

प्रशासन के फैसले अनुसार मान्यता प्राप्त पंचमेवा के पैकेट ही प्रसाद के रूप में चढ़ाए जा सकेंगे. इस प्रसाद में काजू, किशमिश, नारियल और बादाम हो सकते हैं. प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर मिल रही शिकायतों के चलते मंदिर प्रशासन ने यह फैसला लिया है. यह सभी कुछ मंदिर परिसर में ही पैकेटबंद प्रसाद के रुप में भक्तों को प्राप्त हो सकेगा. प्रसाद की कीमत भी सभी के अनुसार ध्यान में रख कर निर्धारित की गई है जिसे सभी वर्ग के लोग ले पएंगे.