बैतूल(हेडलाईन)/ नवल वर्मा।  बैतूल नगरपालिका में भ्रष्टाचार की तमाम हदें पार हो चुकी है? यहां पर निर्धारित कमीशन के अलावा भी ठेकेदारों से अतिरिक्त वसूली के लिए जबरन के कागज दौड़ाए जाते है, फिर वसूली करने के बाद इन कागजी घोड़ों को काबू में कर लिया जाता है! इस तरह की वसूली में हर स्तर का अधिकारी शामिल नजर आता है। जैसे एक ठेकेदार के भुगतान को लेकर एक ही दिन में दो तरह की नोटशीट चलती है और दोनों नोटशीट में भुगतान के लिए तात्कालीन  सीएमओ अक्षत बुंदेला टीप लिखकर हस्ताक्षर करते है! पहली नोटशीट में जो खानापूर्ति के लिए अक्षत बुंदेला ने टीप लिखी थी। उसके तत्काल बाद दूसरी नोटशीट में उस टीप को नजर अंदाज कर दिया गया और भुगतान के लिए हरी झंडी दे दी गई? इन दो नोटशीट के मध्य नगरपालिका के अकाउटेंट का बड़ा रोल है। जो आरोप लग रहे है उसके अनुसार पहली नोटशीट लिखे जाने के बाद ठेकेदार से अकाउटेंट ने संपर्क किया और बताया कि मात्र 01 लाख रूपए में उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा? मरता क्या नहीं करता की स्थिति में फंसे ठेकेदार ने न केवल सहमति दी, बल्कि 1 लाख रूपए उपलब्ध करवाए और उसके तत्काल बाद सीएमओ ने दूसरी नोटशीट लिख दी! उक्त अकाउंटेंट ने उस ठेकेदार को साफ शब्दों में कहा था कि यह जो 01 लाख की भेंट पूजा है यह सीएमओ साहब के लिए है उसमें उसका कोई भी लेनादेना नहीं है वह सिर्फ उसकी मदद कर रहा है। अकाउटेंट की इस बात को इसलिए नहीं नकारा जा सकता है कि 01 लाख रूपए लेने के बाद उसी दिन नोटशीट बदल जाती और ठेकेदार को भुगतान के लिए हरी झंडी दे दी जाती है। एई द्वारा 03 लाख रूपए की रिश्वत लेकर नोटशीट बदलने के बाद ठेकेदार से 01 लाख रूपए लेकर सीएमओ द्वारा नोटशीट बदलने का यह मामला यह बताता है कि किस स्तर पर निर्माण कार्यो आदि में बैतूल नगरपालिका के अंदर ठेकेदारों से खुली ब्लेकमेलिंग चल रही है?

- डिमांड के 5 लाख में से 3 लाख दिए तो नोटशीट बदली और बाकी 2 लाख रूपए नहीं दिए तो भुगतान में से 5 लाख रूपए रोके...
एई ने जो नोटशीट बदलने के खेल में 5 लाख रूपए मांगे थे, उसमें से 3 लाख मिलने पर नोटशीट बदल दी, लेकिन ठेकेदार द्वारा शेष 2 लाख रूपए न दे पाने की स्थिति में उसके उस भुगतान में से 5 लाख रूपए रोक दिए गए और उसमें तात्कालीन कार्यपालन यंत्री महेश अग्रवाल ने एई की बनाई हुई नोटशीट पर यह टीप लिखी थी कि उपरोक्तानुसार परिलक्षित कमियों हेतु राशि 5 लाख की राशि रोकी गई है? अत: देयक परीक्षणोपरांत भुगतान कार्रवाई हेतु प्रस्तुत है। पाई गई कमियों को वर्षाकाल उपरांत ठीक कराया जा सकेगा आदेशार्थ प्रस्तुत है। यह सब बताता है कि भ्रष्टाचार का दलदल नगरपालिका बैतूल में बन चुका है और ठेकेदार इसमें फंसकर नुकसान उठा रहे है।

सवाल - 1 - सीएमओ ने अपनी ही नोटशीट चंद घंटो में बदल दी। यदि उनकी ली गई रिश्वत में कोई भूमिका नहीं थी तो उन्होंने नोटशीट क्यों बदली? क्या अकाउटेंट ने उन्हें 01 लाख रूपए दिए या नहीं?

सवाल - 2- तात्कालीन सीएमओ ने अपने दायरे से बाहर जाकर पहली नोटशीट में तकनीकी जानकारी को लेकर टीप किस प्रक्रिया के तहत लिखी थी, क्या वे तकनीकी मामलों के एक्सपर्ट या जानकार भी है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 09 जुलाई 2024