(बैतूल) जिम्मेदारों को मैनेज कर बेधडक़ कर रहे है नीम हकीम इलाज , - जानलेवा झोलाछाप इलाज से नहीं मिल रही है मुक्ति, गांव-गांव, गली-गली खुले है क्लीनिक
बैतूल /आमला(हेडलाईन)/ रोहित दुबे। शहर सहित ग्रामों में बीते कुछ वर्षो अलग-अलग मामलों में आदिवासी बच्चों व अन्य मरीजों की झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के चलते मौत होने और गलत इलाज से मरीजों के स्वास्थ खराब होने के मामले सामने आ चुके है। कुछ मामलों में प्रशासन ने कार्रवाई भी की थी, लेकिन पिछले कुछ ही वर्षो मे बिना अनुमति के बेखौफ अवैध तरीके से संचालित क्लीनिक और मेडिकल स्टोर्स संचालन किया जाने लगा है। नगर के ग्रामों के झोलाछाप डॉक्टर की क्लिनिक को प्रशासन ने सील कर दिया था।
जैसे आमला में डॉ मित्रा क्लीनिक, डॉ जयबाबा क्लिनिक, डा देशमुख क्लिनिक, डॉ प्रहलाद क्लीनिक और ग्रामीण इलाके में यह कार्रवाई की गई थी। यह बीते कुछ सप्ताह के भीतर दो अलग-अलग मामले झोलाछाप डॉक्टरो के गलत इलाज के चलते मौत चर्चा में आया है। पहला मामला विकासखण्ड के जम्बाड़ा के झोलाछाप डाक्टर के क्लिनिक का है। जहां कुटखेड़ी ग्राम के समीप एक ढाणे मे रहने वाले एक युवक की मौत का है। लेकिन युवक के शव का पीएम नही करवाया गया और परिजनों द्वारा कोई शिकायत की गई। जबकि जम्बाड़ा के जागरूक नागरिकों व जनप्रतिनिधियों ने मीडिया को जानकारी दी थी कि एक युवक की झोलाछाप डाक्टर के पास चल रहे इलाज के बाद मौत हो गई।
- गांव के बाजारों मे झोलाछाप कर रहे इलाज, क्योंकि जिम्मेदार आंख बंद कर बैठे...
आलम यह है कि ब्लाक के कुछ ग्रामों में लगने वाले सप्ताहिक बजारो में झोलाछाप खुलेआम मरीजों का उपचार करते देखे जा सकते है। ब्लाक के ग्राम बारंगबाड़ी , नरेरा, बोरदेही, जम्बाड़ा व अन्य ग्रामो मे लगने वाले सप्ताहिक बाजार शामिल है। जहां कुछ बंगाली झोलाछाप डाक्टर बकायदा अटैची में दवाई लेकर अपने किसी परिचित के घर इलाज करते है और टानिक् व अन्य दवाए भी वही रखते है और मरीजों को इंजेक्शन बॉटल तक लगाते है। यह सब स्थिति इसलिए है कि जो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार है, उन्होंने इस तरफ से आंखे बंद कर रखी है और कहा जाता है कि झोलाछाप का मैनेजमेंट काम करता है।
- गलत उपचार से जा चुकी है बच्ची की जान ओर घटना के इंतजार में प्रशासन ...
झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के चलते ब्लाक में मरीजों को अपनी जान से हाथ गवाना पड़ा है, लेकिन प्रशासन द्वारा झोलाछाप डाक्टरों पर कोई अंकुश नहीं लगाया गया है। झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले इतने बुलंद है की अब अपने क्लीनिक के बाजू में मेडिकल भी खुलवा लिए है। ज्ञात हो की कुछ वर्ष पूर्व शहर के एक निजी क्लीनिक में ग्राम मोरडोंगरी निवासी 9 वर्षीय बालिका की गलत उपचार के कारण मृत्यु हो गई थी बावजूद इसके झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई अंकुश नहीं लग सका है। बताया जाता है कि विकासखंड के ग्राम मोरखा में भी एक झोलाछाप डॉक्टर के गलत उपचार से एक बालिका की मृत्यु हो गई थी।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 26 जुलाई 2024