बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। स्कूलों के प्राचार्यो को पुस्तक विक्रेताओं के कॉल पर कॉल आ रहा है कि हमारा पुराना बकाया तो चुका दो साहब? बताया जा रहा है कि हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्यो को पुस्तक विक्रेताओं की करीब 25 लाख रूपए की उधारी देना बाकी है और विगत 2-3 वर्ष से यह उधारी चुकाई नहीं गई है और इसी का तकाजा किया जा रहा है। यह पैसा शासन से मिलना है जो अभी तक नहीं दिया गया है। प्राचार्य परेशान है कि इस उधारी को कहां से चुकाए। बताया गया कि जिले के लगभग आधा सैकड़ा से ज्यादा हायर सेकेण्डरी स्कूलों पर 25 लाख रूपए से ज्यादा की उधारी वर्तमान में है। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद हायर सेेकेण्डरी स्कूल के छात्रों के लिए नि:शुल्क किताबों की व्यवस्था पुस्तक विक्रेताओं से खरीदकर की गई थी। बताया जा रहा है कि 5 वर्ष के पहले की इस घोषणा ने किताबे तो खरीदकर दे दी, लेकिन शासन से इसका कोई बजट ही प्राप्त नहीं हुआ इसलिए भुगतान नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री की घोषणा के परिपालन को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से आनन-फानन में आदेश जारी कर दिया गया और दबाव भी बनाया गया था कि वे आदेश का हर हाल में पालन करें। 
यहां तक की उस समय पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराने वाले प्राचार्यो को चेतावनी भी दी गई थी। हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्रों को अलग-अलग संकाय की किताबें दी जाती है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि शासन से राशि प्राप्त होगी तो ही हम स्कूलों को उपलब्ध करा पाएंगे। एक प्राचार्य ने बताया कि जिले के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल में संचालित आर्ट, कामर्स, होम साईंस, एग्रीकल्चर संकाय में पढ़ाए जाने वाले विषय की पुस्तकें सरकारी प्रेस में नहीं छपती है, इसलिए संबंधित विषय में पढऩे में वाले विद्यार्थियों को हर वर्ष नए शैक्षणिक वर्ष में पुस्तकें खरीदकर फ्री में दी जाती है और इसी का खामियाजा हम लोग भुगत रहे है। 25 लाख रूपए से अधिक की उधारी अलग-अलग स्कूलों पर पुस्तक विक्रेताओं की है। यह उधारी नहीं देने के कारण पुस्तक विक्रेता लगातार तकाजा कर रहे है और अपमानजनक शब्दों का भी उपयोग करने से नहीं चुक रहे है।  
अब यह पैसा शासन से कब मिलेगा इसका कोई भी आदेश या निर्देश ही प्राप्त नहीं होता है। उनका कहना है कि कंटलजेंसी जैसे फंड से भी यह उधारी नहीं चुका सकते, क्योंकि पूर्व वर्षो में यह बजट भी स्कूलों की मरम्मत और रंगाई पुताई के नाम पर खर्च हो चुका है। वहीं एक प्राचार्य का कहना था कि स्कूलों में यदि बुक बैंक बना दी जाए तो हर वर्ष किताबें खरीदने की समस्या ही नहीं रहेगी। छात्र एक वर्ष किताबों का उपयोग कर उसे लौटा देंगे जो अगले वर्ष काम आएगी, लेकिन इसको लेकर भी कोई काम नहीं होता।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 30 अगस्त 2024