बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्म। बिजली कंपनी उपभोक्ता नियमों के दायरे में आती है, इसलिए अब बिजली कंपनी को निर्धारित समय सीमा में सुधार संबंधित सर्विस न देने पर संबंधित उपभोक्ता को हर्जाना देना होगा। जिसका प्रावधान बिजली कंपनी के द्वारा ही किया गया है। इसमें बिजली बंद होने मतलब सामान्य फ्यूज ऑफ कॉल को कार्य दिवस में 4 घंटे के भीतर सुधार करना जरूरी है, अन्यथा उपभोक्ता को 100 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि का भुगतान करना होगा। बिजली का पोल टूटने या उखड़ जाने को लेकर भी इसी तरह का नियम है और उसमें भी सुधार की समय सीमा है। 
कायदे से बिजली कंपनी को 12 घंटे के भीतर पोल को बदलना होगा नहीं तो उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति की राशि का भुगतान करना होगा। खास बात यह है कि ट्रांसफार्मर फेल होने की स्थिति में भी सप्लाई बहाल के लिए 12 घंटे की समय सीमा निर्धारित की गई है। यदि इस अवधि में भी सप्लाई बहाल नहीं होती है तो इस ट्रांसफार्मर से जुड़े प्रत्येक उपभोक्ता को 100 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से हर्जाना लेने का हक बनता है। वहीं मीटर यदि खराब हो जाता है तो या बंद हो जाता है तो उसे समय पर नहीं सुधारा जाता तब भी 100 रूपए प्रति सप्ताह के हिसाब से उपभोक्ता को भुगतान किया जाएगा। खराब मीटर को 24 घंटे के भीतर सुधारना होगा नहीं तो हर्जाना लगना शुरू हो जाएगा। नए मीटर का कनेक्शन देने पर देरी किए जाने पर भी उपभोक्ता को अधिकार है कि वह बिजली कंपनी से हर्जाना वसूल करे। यदि बिना सूचना के मेंटनेंस कार्य किया जाता है तो 1 वर्ष में 4 मामले होने पर उस क्षेत्र के प्रत्येक उपभोक्ता को 100 रूपए प्रतिदिन देना होगा। क्षतिपूर्ति के लिए उपभोक्ताओं को कर्जस पर दावा पेश करना होगा। उन्हें बताना होगा कि कनेक्शन के लिए इस तारीख को आवेदन दिया गया था या किस तारीख को ट्रांसफार्मर फेल हुआ और इसी आधार पर हर्जाने की राशि तय होगी। वहीं यदि किसी का बिजली कनेक्शन काट देती है तो उपभोक्ता द्वारा राशि का भुगतान किए जाने पर 4 घंटे के भीतर कनेक्शन जोडऩा जरूरी है नहीं तो 100 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से उपभोक्ता को हर्जाना चुकाना होगा।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 04 सितम्बर 2024