(बैतूल) प्लॉनिंग के मुताबिक आखिरकार ओम सांई विजन को मिल ही गया डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन ठेका , - सत्तापक्ष को मौन स्वीकृति के लिए बधाई , - टेंडर अपनी तीन विशेष शर्तो को लेकर विवाद में था, इसके बावजूद टेंडर खोला गया
बैतूल (हेडलाईन)/नवल वर्मा l बैतूल नगरपालिका में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का ठेका आखिरकार ओपन हो गया और कथित प्लॉनिंग के मुताबिक यह ठेका वर्तमान में कार्यरत ओम सांई विजन को ही गया है। पिछले ठेके और वर्तमान ठेके के दरों में भी भारी अंतर है। यहां वर्तमान में इस ठेका कंपनी को करीब 24 लाख 75 हजार रूपए महीने का भुगतान किया जा रहा था, वहीं नए टेंडर की वार्षिक दर करीब 4 करोड़ 56 लाख के अनुसार इस कंपनी को हर महीने 38 लाख रूपए का भुगतान किया जाएगा। यह टेंडर जिन शर्तो के तहत लगाया था, उसको लेकर तमाम विवाद थे और बार-बार यह आरोप लग रहा था कि किसी कंपनी विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह की शर्ते जोड़ी गई है। इन शर्तो को जोडऩे को लेकर यह आशंका जाहिर की जा रही थी कि इसका मकसद यह है कि इस टेंडर प्रक्रिया में नए लोग शामिल न हो सके और टेंडर वहीं ले सके जिसे मिलने की प्लॉनिंग के तहत इस तरह की शर्ते जोड़ी गई।
इस मामले में तमाम तथ्यों से सत्तापक्ष के तमाम जनप्रतिनिधि अच्छे से वाकिफ है और चर्चा तो यहां तक है कि यह तमाम लोग भी ठेका कंपनी ओम सांई विजन की वर्किंग से कतई खुश नहीं है और वे भी चाहते थे कि टेंडर में जिस तरह से शर्ते जुड़ी है, उसे देखते हुए टेंडर फिर से नए सिरे किया जाए। अब सवाल यह है कि सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधि जब पारदर्शिता और सुचिता के आधार पर यह सब मंशा रखते है तो फिर यह टेंडर खुला कैसे और ओम सांई विजन को ही टेंडर कैसे मिल गया?
यह सवाल सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों का पीछा नहीं छोड़ेंगे? पूरे मामले में खास बात यह है कि इस कंपनी को लेकर कलेक्टर और श्रम विभाग में कर्मचारियों की ओर से लगातार शिकायतें है? उन्हें कलेक्ट्रेट दर पर ना तो भुगतान किया जा रहा था और ना ही उनका ईपीएफ का पैसा जमा किया जा रहा था? इस स्थिति में जब तक शिकायत का निराकरण नहीं होता उक्त कंपनी को ठेके के टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार ही नहीं था?
- यह विशेष शर्ते हैं जिन पर सवाल...
1 - निविदाकर्ता के पास मध्यप्रदेश राज्य की किसी एक शहरी निकाय में घर-घर कचरा संग्रहण एवं परिवहन आईईसी का न्यूनतम 3 वर्ष का कार्य अनुभव होना आवश्यक है।
2 - राज्य की किन्हीं तीन शहरी निकायों में जिनकी जनसंख्या एक लाख से कम न हो वहां स्वच्छ भारत अंतर्गत आईईसी गतिविधियों का न्यूनतम 50-50 लाख रूपए की राशि के प्रत्येक निकायों का एक-एक कार्यादेश होना आवश्यक है।
3 - निविदाकर्ता के पास पिछले तीन वर्षो का न्यूनतम टर्न ओवर 4 करोड़ होना आवश्यक होगा। दस्तावेज प्रमाण के रूप में सीए द्वारा प्रमाणित और हस्ताक्षरित सर्टिफिकेट होना जरूरी है।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 14 नवंबर 2024