हेरिटेज शराब का टेस्ट ट्रायल सफल


भोपाल । प्रदेश को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के मकसद से तैयार की गई महुए की हेरिटेज शराब मोन्डÓ का मप्र पर्यटन विकास निगम की होटल में ट्रायल सफल रहा। लोगों को यह शराब खुब पसंद आई है। लोगों से मिले फीडबैक से सरकार भी खुश है। अब सरकार  हेरिटेज शराब मोन्डÓ मई से बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है। हेरिटेज शराब का निर्माण महुए के फूलों से किया जा रहा है। यह दुनिया की एकमात्र शराब है, जो फूलों से बनाई जाती है। भारत में अकेले मप्र में इसका निर्माण किया जाता है। इस शराब में मिथाइल एल्कोहल नहीं होता, जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। हेरिटेज शराब के निर्माण में किसी भी तरह के कैमिकल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। शराब बनाने में प्रयुक्त होने वाला पानी उच्च गुणवत्ता का होगा, उत्पादन इकाई में हाईजीन का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
प्रदेश सरकार ने महुए से बनने वाली इस हेरिटेज शराब के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत आलीराजपुर और डिंडोरी जिले का चयन किया था। सबसे पहले आलीराजपुर जिले के क_ीवाड़ा क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया। जिला प्रशासन के निर्देशन में लंबे समय से इस पर काम किया जा रहा था। फीडबैक के लिए 180 एमएल की पेकिंग में हेरिटज शराब को रखवाया गया था। हालांकि, आने वाले समय में ये 90 एमएल और 750 एमएल की पैकिंग में भी उपलब्ध होगी। क_ीवाड़ा में हेरिटेज शराब निर्माण के लिए तैयार यूनिट का संचालन स्व सहायता समूह कर रहा है। समूह में काम करने वाली टीम के सदस्य को इसके लिए पुणे के वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट से ट्रेनिंग भी दिलवाई जा चुकी है। इसी इंस्टिट्यूट में शराब की गुणवत्ता की जांच भी हुई है।

कीमतों को लेकर हो रही देरी
आबकारी विभाग हेरिटेज शराब के टेस्ट से लेकर पैकिंग को लेकर मिले लोगों के रिस्पांस से संतुष्ट है। साथ ही बार में शराब पीने वालों द्वारा फीडबैक फॉर्म में दिए गए सुझावों के आधार पर कमियों को दूर कर लिया गया है, लेकिन अभी हेरिटेज शराब की बिक्री कीमतों के फेर में अटक गई है। सरकार की मंशा है कि जिस तरह फैनी गोवा की पहचान बन गई है, वैसे ही हेरिटेज शराब मप्र की पहचान बन जाए। यही वजह है कि हेरिटेज शराब की कीमतों का निर्धारण पर ठीक से सोच-विचार कर रही है। आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हेरिटेज शराब की कीमतें निर्धारित करते वक्त इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि इसका निर्माण करने वाले आदिवासी स्व सहायता समूह को एक निश्चित प्रॉफिट प्राप्त हो, कीमत इतनी ज्यादा न हो कि लोग अफोर्ड न कर पाएं और इतनी कम भी न हो कि लोग उसे निम्न स्तर का ब्रांड समझने लगें। यही वजह है कि हेरिटेज शराब की कीमत तय करने में वक्त लग रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही हेरिटेज शराब की कीमत फायनल कर ली जाएगी और मई से मार्केट में इसकी बिक्री शुरू कर दी जाएगी। हेरिटेज शराब की बिक्री शराब की दुकानें पर होगी या अलग से काउंटर खोले जाएंगे, इसको लेकर भी अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है।

अलीराजपुर और डिंडोरी में यूनिट
सरकार ने पिछले साल आबकारी नीति में हेरिटेज शराब के निर्माण के लिए अलीराजपुर और डिंडोरी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना था। अलीराजपुर और डिंडोरी में  आदिवासी स्व सहायता समूहों द्वारा हेरिटेज शराब बनाने की यूनिट लगाई गई हैं। अलीराजपुर में हनुमान आजीविका स्व सहायता समूह ने हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू कर दिया है। हेरिटेज शराब के ब्रांड को मोन्ड नाम दिया गया है। हेरिटेज शराब 750 मिलीलीटर की पैकिंग में उपलब्ध होगी। डिंडोरी यूनिट से हेरिटेज शराब का उत्पादन अभी शुरू नहीं हो पाया है। दरअसल, मप्र देश का पहला राज्य है, जो महुए से शराब का निर्माण कर उसे वैध तरीके से बेचने जा रहा है। सरकार का सबसे ज्यादा ध्यान हेरिटेज शराब की शुद्धता पर है, क्योंकि सरकार इसकी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने की तैयारी कर रही है। सरकार का मानना है कि यदि हेरिटेज शराब की ठीक से ब्रांडिंग की जाए, तो देश ही नहीं पूरी दुनिया में इसकी अलग पहचान बन सकती है। यही वजह है कि इसकी क्वालिटी टेस्ट, खुशबू से लेकर कीमतों के निर्धारण में वक्त लग रहा है। उप सचिव वाणिज्यिक कर ओपी श्रीवास्तव का कहना है कि अलीराजपुर यूनिट में हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू हो गया है। कीमतें फायनल होते ही इसकी बिक्री शुरू कर दी जाएगी।