पंजाब में दूध देने वाले पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी की दशहत
चंडीगढ़ । भारत में इनदिनों कोरोना और मंकीपॉक्स बीमारी ने हलचल पैदा की हुई है। वहीं अब पशुओं में भी ऐसी ही एक संक्रामक बीमारी सामने आ रही है। दूध देने वाले पशुओं में लम्पी स्किन नाम की बीमारी ने दस्तक दे दी है। खास बात है कि इसके लक्षण कुछ-कुछ मनुष्यों में हो रही मंकीपॉक्स बीमारी से मिलते-जुलते हैं। फिलहाल पंजाब राज्य में पालतू गाय और भैंस में बीमारी को देखकर पशुपालकों को अलर्ट किया गया है। वहीं बीमारी की रोकथाम के लिए जिला स्तरीय टीमें गठित की गई हैं।
पंजाब के पशु पालन, मछली पालन और डेयरी विकास मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने पशुपालकों को बीमारी से संबंधित किसी भी अफवाह से बचने की सलाह दी है। इस बारे में भुल्लर ने बताया कि राज्य में दुधारू पशुओं में लम्पी स्किन नामक संक्रामक रोग से बचाव के लिए हर जिले में टीमें तैनात की गई हैं, जो गांव-गांव जाकर प्रभावित पशुओं को बीमारी से बचाने के उपाय के लिए जानकारी देंगी।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि नॉर्थ रीजनल डिवीजन डायग्नौस्टिक लैब (एन.आर.डी.डी.एल.) जालंधर की टीम को समूह जिलों का दौरा करने की हिदायत दी गई है, जो प्रभावित जिलों का दौरा कर रही है। उन्होंने बताया कि पशु पालन विभाग के समूह अधिकारियों और मुलाजिमों को पशु-पालकों की हर पक्ष से सहायता करने के लिए पाबंद किया गया है। इस लिए पशुपालक किसी घबराहट में न आएं और किसी भी तरह की अफवाहों से बचें। उन्होंने कहा कि किसान या पशु-पालक बेझिझक अपनी नजदीकी पशु संस्था से संपर्क कर सकते है।
मंत्री भुल्लर ने बताया कि यह बीमारी दक्षिणी राज्यों से आई है और बरसातों में और अधिक तेजी से फैलती है, क्योंकि मच्छर-मक्खी आदि के काटने से इस बीमारी के आगे और बढऩे का खतरा बना रहता है। इसलिए पशुओं के आस-पास सफाई का ध्यान रखा जाए और बीमार पशुओं को दूसरों से अलग कर लिया जाए।
वहीं विभाग के डायरैक्टर डॉ. सुभाष चंद्र ने कहा कि पशुपालकों को घबराने की ज़रूरत नहीं, बल्कि एहतियात बरतनी चाहिए। बीमारी के लक्षणों का जिक्र करते हुए डॉ.चंद्र ने बताया कि इस बीमारी से पशुओं को तेज बुखार चढ़ता है, और उनकी चमड़ी पर छाले हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी किसान के पशुओं में इसतरह की बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तब तुरंत नजदीकी पशु संस्था के साथ संपर्क करें। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर किसान अपने सेहतमंद पशुओं को पीड़ित पशु से अलग कर लें।