40 साल पहले आज के दिन भारतीय क्रिकेट टीम की पूरी सूरत बदल गई थी। 25 जून, एक ऐसी तारीख जब पूरे भारत में टीम इंडिया की जीत का जश्न अलग अंदाज में मनाया जा रहा था। हो भी क्यों न आखिरकार भारतीय टीम ने पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम जो किया था। कपिल देव के नेतृत्व में एक युवा टीम ने लॉर्ड्स के मैदान पर कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित किया। बता दें कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच विश्व कप का फाइनल मुकाबला खेला गया था, जहां युवाओं से सजी भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से हराकर विश्व पटल पर तिरंगा का मान बढ़ाया।

40 साल पहले जब भारत ने जीता था पहला विश्व कप 

दरअसल, 1983 के फाइनल मैच में टीम इंडिया सिर्फ 183 रन बनाकर आउट हो गई थी। उस समय वेस्टइंडीज का इतना कम टारगेट को हासिल करना आसान लग रहा था, क्योंकि वेस्टइंडीज इससे पहले दो खिताब अपने नाम कर चुकी थी। ऐसे में विंडीज टीम की निगाहें तीसरे कप पर लगी थी। पहले बैटिंग करते हुए टीम इंडिया की तरफ से ओपनर सुनील गावस्कर मात्र 2 रन बनाकर आउट हो गए। इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ और श्रीकांत ने टीम की पारी को संभालते हुए विंडीज बॉलर्स की जमकर धुनाई की। इसके बाद अंतराल पर विकेट गिरते चले गए। यशपाल शर्मा 11 रन, सैयद किरमानी 14 रन, बलविंदर संधू 11 रन, मोहिंदर अमरनाथ 26 रन और कपिल देव 15 रन पर अपना विकेट गंवा बैठे। इस तरह वेस्टइंडीज के सामने भारतीय टीम 183 रन का स्कोर खड़ा कर पाई। टीम इंडिया की तरफ से सबसे ज्यादा रन (38) श्रीकांत ने बनाए थे। इसके जवाब में वेस्टइंडीज टीम की शुरुआत भी बेहद खराब रही। 5 रन के स्कोर पर विंडीज टीम को पहला झटका लगा। बलविंदर संधू ने विंडीज के ओपनर गार्डन ग्रीनिज को 1 रन पर क्लीन बोल्ड किया और भारत को पहली सफलता दिलाई, लेकिन मैच के दौरान एक गेंदबाज की जिद्द के आगे कपिल देव झुक गए, लेकिन वह गेंदबाज टीम इंडिया के लिए फरिश्ता बनकर निकला।

मदनलाल की जिद्द के आगे कपिल की एक ना चली

बता दें कि मदनलाल को रिचर्ड्स ने तीन बाउंड्री मारी थी, लेकिन फिर भी वह गेंदबाजी करना चाहते थे। कपिल देव ने मदनलाल को आराम करने को कहा, लेकिन गेंदबाज की जिद्द थी कि वह रिचर्ड्स को आउट करेंगे। मदनलाल की जिद्द के आगे कपिल की एक न चली और मैच में टर्निंग प्वाइंट तब आया जब मदनलाल की गेंद पर पीछे भागते हुए कपिल देव ने द ग्रेट विवियन रिचर्ड्स का कैच लपका और भारत की जीत की उम्मीद फिर से जाग उठी। रिचर्ड्स सिर्फ 28 गेंदों पर 33 रन की पारी खेल सके। इसके बाद कपिल ने अपने खिलाड़ियों को इकट्ठा कर कहा कि चलो अब इन्हें ऑलआउट करते है। इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों में इतना कॉन्फिडेंस आया कि इसके बाद विंडीज टीम के विकेट ताश के पत्तों की तरह बिखरते चले गए और अंत में जैसे ही माइकल होल्डिंग को मोहिंदर अमरनाथ ने एलबीडब्ल्यू आउट किया तो पूरा देश खुशी से झूम उठा। इस तरह भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रन से रौंदते हुए पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया।