भोपाल । मप्र में चुनावी घोषणाएं सरकार के खजाने पर भारी पड़ रही हैं। घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकार को लगभग हर महिने कर्ज लेना पड़ रहा है। इसका असर यह हुआ है कि मप्र सरकार पर बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है। अब सरकार एक बार फिर 5,000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 का यह आखिरी कर्ज होगा। प्रदेश सरकार पर वर्तमान में 3 लाख 70 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। दरअसल कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद का अधिकतम 4 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 रुपए है। इसी के अनुपात में सरकार की कर्ज लेने की सीमा तय की गई है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के बाद और लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार बाजार से लगातार कर्ज उठा रही है। अब मप्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष का आखिरी कर्ज लेने की तैयारी कर ली है। सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को विलिंगनेस लेटर (इच्छा पत्र) भेजा है। चालू वित्त वर्ष में सरकार अधिकतम 47 हजार 560 करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है। अब सरकार ने बचे हुए पांच हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए आरबीआई को पत्र भेजा गया है।
 90 प्रतिशत कर्ज ले चुकी है सरकार
प्रदेश की भाजपा सरकार में इस वित्तीय वर्ष के  दस महीने (मई, 2023 से अब तक) में 42 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। यह राशि सरकार की कर्ज लेने के लिए निर्धारित सीमा की करीब 90 प्रतिशत है। सरकार चालू वित्त वर्ष में अधिकतम लगभग 47 हजार 560 करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है। इस तरह से इस माह में सिर्फ 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज और लिया जा सकता है। जिसको लेने की तैयारी हो चुकी है। वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आमतौर पर वित्त वर्ष के आखिरी महीनों (जनवरी से मार्च तक) सरकार ज्यादा कर्ज लेती है, लेकिन इस बार चुनाव से पूर्व की गई लोक लुभावन घोषणाओं को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों से ही सरकार लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है, जबकि खर्च इससे करीब 54 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार की ओर से विधानसभा चुनाव से पूर्व की गई घोषणाओं पर बड़ी राशि खर्च होने के कारण सरकार का हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है। सरकार का प्रति माह 20 हजार करोड़ का खर्च था, जो जून, 2023 के बाद से बढक़र 22 हजार करोड़ प्रति माह के पार पहुंच गया है। सरकार को लाड़ली बहना योजना, कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के भुगतान समेत अन्य विकास कार्यों के लिए हर महीने कर्ज लेना पड़ रहा है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर सरकार की लोन लेने की सीमा निर्धारित की गई है। उसी के दायरे में सरकार लोन ले रही है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार अकेले लाडली बहन योजना में हर महीने साढ़े 1200 से 1300 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।
मई में पहला कर्ज लिया था शिवराज ने
चालू वित्त वर्ष में 2023-24 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 26 मई, 2023 को लिया था। आचार संहिता लगने से पूर्व सरकार ने सितंबर में चार किस्तों में कुल 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यहां तक कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील रहते सरकार ने अक्टूबर व नवंबर में तीन किस्तों में 5 हजार करोड़ का लोन लिया था। सत्ता में आने के बाद नई सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 20 दिसंबर को लिया था। इसके बाद सरकार ने 18 जनवरी को 2500 करोड़ रुपए, 6 फरवरी को 3000 करोड़ रुपए और 20 फरवरी को 5000 करोड़ का कर्ज लिया था। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है, जबकि खर्च इससे करीब 54 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। सरकार की ओर से चुनाव से पूर्व की गई घोषणाओं पर बड़ी राशि खर्च होने के कारण सरकार का हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है। सरकार का प्रति माह 20 हजार करोड़ का खर्च था, जो जून, 2023 के बाद से बढक़र 22 हजार करोड़ प्रति माह के पार पहुंच गया है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर सरकार की लोन लेने की सीमा निर्धारित की गई है। उसी के दायरे में सरकार लोन ले रही है।
हर शख्स पर 40 हजार से अधिक का कर्ज
मप्र पर अब कुल कर्ज 3.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है और इसके और बढऩे की संभावना है। इस तरह मप्र के हर शख्स पर 40 हजार से अधिक का कर्ज है। मप्र सरकार का औसत मासिक खर्च देखा जाए तो वो लगभग 22,000 करोड़ रुपये है। इस बदौलत सरकार को हर माह कर्ज लेना पड़ रहा है। गौरतलब है कि मप्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 27 फरवरी को 5000 करोड़, 20 फरवरी को 5000 करोड़, 21 सितंबर को 5000 करोड़, , 27 सितंबर को 3000 करोड़,  6 फरवरी को 3000 करोड़,  15 सितंबर को 1000 करोड़,  18 जनवरी को 2500 करोड़,  7 सितंबर को 3000 करोड़,  20 दिसंबर को 2000 करोड़,  9 जून को 4000 करोड़,  22 नवंबर को 2000 करोड़,  26 मई को 2000 करोड़,  26 अक्टूबर को 2000 करोड़  और 18 अक्टूबर को 1000 करोड़ रूपए का कर्ज लिया है।