भोपाल । प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेजों से नौ हजार एड्स रोगी गायब हो गए हैं। इतनी बडी संख्या में रोगी गायब हो गए और विभाग इनको खोज भी नहीं रहा है। ऐसे में ये रोगी अन्य लोगों में संक्रमण को फैला रहे होंगे। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको ) के अनुमान के अनुसार प्रदेश में 54 हजार 773 सक्रिय मरीज होने चाहिए, पर अभी इनकी संख्या 45 हजार 89 है। यानी नौ हजार से ज्यादा मरीज ऐसे हो सकते हैं जो संक्रमित हैं, लेकिन जांच का दायरा सीमित होने के कारण ये पकड़ से बाहर है। मरीजों का अनुमान क्षेत्र की परिस्थितियों के मुताबिक तय होता है। कोरोना संक्रमण के कारण एड्स की पहचान के लिए होने वाली जांचों को प्रभावित किया था। इससे प्रदेश में मिलने वाले संक्रमित लोगों की पहचान कम हो सकी थी। गैर सरकारी संगठनों की सहायता से उच्च जोखिम वाले लोगों के बीच जागरूकता और जांच के लिए लगातार अभियान चलाने की बात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। हालांकि, जांचों की संख्या बढ़ाने की वजह से संक्रमण दर (पाजिटिविटी दर) लगातार कम होते हुए 0.35 प्रतिशत पर आ गई है जो 2005 में 11.5 प्रतिशत थी। भले ही हर साल 18 मई को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता हो लेकिन टीके का अब तक पता नहीं है। ऐसे में जागरूकता ही एड्स से बचाव का सही उपाय है।हमीदिया के अधीक्षक डा. आशीष गोहिया बताते हैं कि विश्व एड्स वैक्सीन दिवस को एचआइवी वैक्सीन जागरूकता दिवस भी कहा जाता है। यह कार्यक्रम एक ऐसे टीके की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है जो ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआइवी) से एक्वायर्ड इम्यूनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम (एड्स) को रोक सकता है। यह आयोजन अनगिनत स्वास्थ्य पेशेवरों, वैज्ञानिकों, समुदाय के सदस्यों और स्वयंसेवकों को भी सम्मानित करता है जो एड्स के टीके को विकसित करने में मदद कर रहे हैं।