लंदन । क्या छोटी-छोटी बात पर सॉरी बोलने का कोई मतलब है? इस शब्द का सही इस्तेमाल क्या होता है और कहां इसे बोलना चाहिए।‘सॉरी’ शब्द अंग्रेजी के ‘सरिग’ शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है ‘गुस्सा या परेशान’ होना। 
हालांकि आमतौर पर लोग सॉरी शब्द का इस्तेमाल इन बातों के लिए नहीं करते हैं। अब तो ये लोगों के लिए माफी मांगने का एक शब्द भर रह गया है। इसके जैसे शब्द कई अन्य भाषाओं में भी मिलते हैं जैसे प्राचीन जर्मन भाषा का साइराग और मॉर्डन जर्मन भाषा का साइरागाज इंडो यूरोपीय भाषा का सेओ ।दक्षिणी ओरेगन विश्वविद्यालय की एक लैंग्वेज स्पेशलिस्ट एडविन बैटीस्टेला और “सॉरी अबाउट दैट: द लैंग्वेज ऑफ पब्लिक एपोलॉजी” किताब की लेखिका बताती हैं कि “लोग सॉरी शब्द का इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों से करते हैं। जो लोग इस शब्द का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जरूरी नहीं कि वे ज्यादा पछतावे वाले हों।’
 सॉरी शब्द का मतलब ‘मुझे माफ कर दीजिए’ होता ही नहीं है। इसका सही अर्थ होता है – दुखी महसूस करना, खेद व्यक्त करना या फिर अपनी गलती पर दुखी होना। यानि अगर आपने सॉरी बोला है तो वो गलती दोहराने की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।सॉरी बोलने से सामने वाला का भरोसा आसानी से हासिल किया जा सकता है। हालांकि कई बार ज्यादा सॉरी बोलना मानसिक कमजोरी भी मान ली जाती है। एक रिपोर्ट की मानें तो एक आम ब्रिटिश नागरिक दिन में कम से कम 8 बार सॉरी बोलता है, वहीं कुछ लोग तो 20 बार तक सॉरी बोलते हैं। 
चूंकि 100 साल पहले तक ब्रिटेन दुनिया के ज्यादातर देशों में मजबूत था, ऐसे में उनके साथ सॉरी भी लोकप्रिय होता चला गया। बैटीस्टेला ने एक सलाह ये भी दी है कि ‘शोक उसी ढंग से करना चाहिए, जिस प्रकार और जिन परिस्थितियों में परिवार ने शोक करना सिखाया हो।’ अगर आपने नोटिस किया होगा तो जानेंगे कि रोज़ाना हम न जाने कितनी बात सॉरी बोल जाते हैं। कई बार तो लोग बात-बात पर सॉरी बोलते हैं। किसी से टकरा जाएं या फिर किसी की सीट पर बैठ जाएं, मुंह से झट से सॉरी निकल जाता है।