बिहार के गोपालगंज में हिंदू मुस्लिम एकता की अद्भुत बयार बहती है. यहां के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में हिंदू मुस्लिम एकता का ऐसा नजारा दिखता है जिसे देखकर भक्त भावों की गंगा में बहने लगते हैं. इस मंदिर में एक मुस्लिम भक्त कृष्ण की प्रिय बांसुरी बजाता है. ये नजारा सुबह शाम दोनों वक्त रहता है. इस मुस्लिम भक्त की बांसुऱी की धुन पर ही मंदिर में पूजा की जाती है.

गोपालगंज के हथुआ गांव में एक गोपाल मंदिर है. इस मंदिर की अपनी खासियत तो है ही. उसके बाहर का दृश्य भी कम दिलचस्प नहीं रहता. यहां आपको रोज एक मुस्लिम भक्त बैठे दिखाई देंगे. उनके हाथ में बांसुरी होती है. जैसे ही वो बांसुरी की तान छेड़ते हैं. मंदिर में आरती शुरू हो जाती है. ये मुस्लिम भक्त हैं सगीर अंसारी, जो पिछले 9 साल से गोपाल मंदिर में बांसुरी बजाते आ रहे हैं.

300 साल की परंपरा
हथुआ के इस गोपाल मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यह मंदिर हथुआ स्टेट से भी जुड़ा हुआ है. इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं. उनके बांसुरी चढ़ाने के बाद ही पूजा-पाठ और आरती शुरू होती है. पूजा के समय मुस्लिम समुदाय के लोग ही बांसुरी बजाते आ रहे हैं. अपने पुरखों की इसी इसी परंपरा को सगीर आगे बढ़ा रहे हैं. वो कहते हैं 300 वर्ष के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुस्लिम कारीगर ने बांसुरी न चढ़ायी हो और बांसुरी ना बजायी हो.

इंसान का इंसान से हो भाईचारा
सगीर अंसारी कहते हैं इस मंदिर में बांसुरी बजाकर सुखद अनुभूति होती है. वो बांसुरी बनाने का भी काम जानते हैं. वो बड़ी समझदारी से कहते हैं मजहबी बातों में आने से लोगों को परहेज करना चाहिए. आपसी एकता में देश और बिहार की तरक्की संभव है. यहां हिंदू-मुसलमान दोनों मिलकर रहते हैं. इंसान को इंसानयित की ही बात करनी चाहिए. गोपाल मंदिर के मुख्य पुजारी आशुतोष तिवारी ने बताया सगीर अंसारी 9 साल से यहां बांसुरी बजाने आते हैं. उनके मन में जरा सा भी संकोच नहीं है. नि:स्वार्थ भाव से प्रभु की सेवा करते आ रहे हैं.