बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा । श्री महावीर देवस्थान हिवरा माँ भवानी मंदिर को लेकर ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं वो बता रहे है कि देवस्थान की जमीन को खुर्द-बुर्द करने का बड़ा षडय़ंत्र हुआ है। जैसे-जैसे मामले की खोजबीन की जा रही है और दस्तावेज देखे जा रहे है तो करीब 40 से 50 एकड़ जमीन पिछले कुछ वर्षो में ठिकाने लगा दी गई है। अब ऐसी स्थिति में पिछले लगभग 25 - 30 वर्ष से मंदिर में प्रबंधन देख रहे गोवर्धन राने की नैतिक जिम्मेदारी है कि सामने आकर बताएँ कि यह जमीन किस तरह से और किसके द्वारा खुर्द-बुर्द की गई है। यह सामान्य मामला नहीं है। लोगों का तो आरोप यह है कि इन रहस्यों को दबाने और छिपाने के लिए ही मंदिर में समझदार और तथ्यों को समझने वाले लोगों की रूचि से घबराकर सफेदपोश के द्वारा बेफिजूल प्रलाप किया जा रहा है। 
जो तथ्य सामने आ रहे है उसके अनुसार माँ भवानी मंदिर हिवरा महावीर देवस्थान का पहला सर्वे छत्रपति वीर शिवाजी महाराज द्वारा 1962-67 में करवाया गया था। इस सर्वे के जो शासकीय रिकार्ड और उसके प्रमाण उपलब्ध हैं उसके अनुसार तो यहां करीब-करीब 60-65 एकड़ भूमि यहाँ सार्वजनिक स्थल के रूप में दर्ज बताई है, जिसका कोई खसरा क्रमांक नहीं है और यह भूमि श्री महावीर देवस्थान के नाम पर दर्ज है। अब इसी सर्वे के आधार पर 1919-20 की मिसलबंदी रिपोर्ट है।

इसमें भी सार्वजनिक स्थल के रूप में लगभग 60 - 65 एकड़ भूमि के साथ 3 मंदिर और एक बावली स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। अब यदि इसके आगे देखा जाए तो ग्राम पटेल के पास उपलब्ध 1946-47 के मालगुजारी रिकार्ड में भी यह भूमि महावीर (हनुमान) देवस्थान के रूप में करीब-करीब 60-65 एकड़ दिख रही है। अब इसके आगे यदि देखा जाए तो 1973-74 के भारत सरकार के सेटलमेंट की रिपोर्ट में भी स्पष्ट नजर आ रहा है कि हिवरा में यह देवस्थान सार्वजनिक स्थान के रूप में 60-65 एकड़ भूमि, 3 मंदिर और एक बावली दिख रही है। इतना सब होने के बाद अब यदि वर्तमान ऑनलाईन रिकार्ड देखा जाता है तो यह जमीन महज 16 एकड़ बच रही है, बाकी जमीन कहां गई..? जो गहन जांच का गंभीर विषय है।

- इन सवालों जवाब आना चाहिए सामने..?
1 - उक्त जमीन का रिकार्ड मौजूद होने के बावजूद भी 60-65 एकड़ से 16 एकड़ जमीन ही क्यों बची है?
2 - श्री महावीर देवस्थान के नाम से दर्ज भूमि में वर्तमान ऑनलाईन रिकार्ड में खसरा नंबर नहीं है?
3 - अब इस स्थिति में पिछले 25 - 30 वर्ष से देव स्थान में प्रबंधन की भूमिका में मौजूद गोवर्धन राने द्वारा बताया जाएगा कि बाकी जमीन कहां है?
4 - क्या गोवर्धन राने बताएंगे कि मंदिर प्रबंधन समिति में किस तरह और कैसे जुड़े, क्या उनका जुडऩा नियम अनुसार था?
5 - क्या गोवर्धन यह भी बताएंगे कि मंदिर प्रबंधन में सारे निर्णय वह स्वयं अकेले लेते थे या पूरी समिति को भरोसे में लेकर करते थे?
6 - गोवर्धन राने को मंदिर प्रबंधन में या देव स्थान में किसी भी जागरूक और समझदार व्यक्ति की रूचि या क्रियाशीलता से आपत्ति क्यों रहती है?
7 - क्या कारण है कि गोवर्धन राने एंड टीम नए लोगों को मंदिर से या देव स्थान से जुडऩे देने से रोकते है, वहां विवाद खड़े करवाते है और वहां होने वाले आयोजनों में विघ्र डालते है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 10 मई 2023