मेरा नाम चुनाव है, मेरा धर्म चुनाव है मेरा कर्म चुनाव है 
इस समय  मेरा नाम सिर्फ चुनाव है...


मेरा सिर्फ़ एक ही  परिचय है मैं चुनाव हूं। मेरा धर्म मेरा कर्म सब कुछ चुनाव  है। मै इस समय सर्वव्यापी हूं ,  सर्वस्पर्शी हूं  देश के लिए प्रकृति के लिए मेरे सीने मे दर्द है कुछ कर गुजरने की इच्छा है। मै  वर्षो  बाद  नागरिकों से मिल रहा हूं  बहुत दिन से    आने की सोच रहा था पर दो साल तो  कोरोना मे निकल गए   मजबूर था पर ऐसा नही   की कोरोना मैं चुपचाप रहा   अस्पताल खोलना, अपनी पीठ पर रखकर ट्रको से राशन उतारना, सब किया मानवता के लिए   जो मेरे से बन  पड़ा और उससे  इंकार भी नहीं किया जा सकता   वास्तव मे उस समय  चुनाव ने अपनी अद्भुत सेवाए दी है उसमें कोई दो राय मत नही हो सकता है  चुनाव की उस समय की सेवाओं के लिए आप कोई आलोचना नहीं कर सकते ।
छोड़िए सब बाते  गर्मी  ठंड बहुत हो गईं   पर बारिश हो नही पा रही हैं । प्रकृति मे बहुत बदलाव  आ गया है । सब ग्लोबल वार्मिग के  चलते हैं  पौधारोपण कर रहें है । समय लगेगा बहुत बिगाड़ हो गया हैं।   बताइए आप कैसे हैं ? बच्चे क्या कर रहे हैं ?  हमारे और  आपके   परिवार के बहुत पुराने  करीबी संबंध रहें हैं। भईया बच्चे को  पढ़ने भेजना था पैसे की व्यवस्था  नही हो पा रही। अब बता रहें हो   पहले नहीं बोलते बना   अपनो से   कैसी शर्म?आप बताते तो क्या तकलीफ थी ? मै था न। नहीं भईया         मैंने जोर के  पांच छह    महीने  पहले  कालेज चौक पर आवाज़ दी थीं  आप चौक के   सौंदर्यीकरण  के  ले आउट को अधिकारियों और कार्यकर्ताओ से चर्चा मे व्यस्त थे।आप सुन नही पाए थे । ऐसा कुछ नहीं। आजकल   ट्रैफिक व्यवस्था इतनी खराब हो गई कोलाहल मे  कुछ सुनाई  ही नहीं  देता है और इसी  समस्या को देखते हुए  मै सब समाजों से बात कर  यातायात बत्ती लगवा दे रहा हूं और  सौंदर्यकरण करवाकर आप सभी से पूछकर चौक का नाम करण भी कर  रहा हूं।मेरा कर्तव्य है  मेरे पर  जिम्मेदारी है आखिर मेरा नाम चुनाव हैं और कोई जरूरत है तो बताइए । चुनाव को सड़क मे गड्ढे नही दिखते हैं वह यह छोटी छोटी चिरकुट बातो पर ध्यान नहीं देता है । चुनाव जब काम करता है बड़े काम, बड़ी योजना पर ही बात करता है। उसका साफ कहना हैं मेरा उद्देश्य चुनाव नहीं है यह तो  हमे करना ही था  विलंब जरूर हुआ है इस बात को  मैं मानता हूं। 
अब  जब मेरा नाम चुनाव हैं  तो   खेलकूद और झूले भी  डलना चाहिए   केवल भूमिपूजन ही  तो नहीं करना हैं  बेबी फुटबॉल   भी  होना   चाहिए  उसमे बुराई क्या है? सच भी है   खेलो मे बच्चो को प्रोत्साहन    तो मिलना ही चाहिए   क्यों सुंदर सार्थक प्रयास और पहल तो हैं? अब सुदामा क्या बोले जी   भईया।आखिर चुनाव सब के  लिए सोचता है   बुजुर्ग से लेकर गोद मे बैठे बच्चे  तक के  खेल की  चिंता  उसे इस समय सता रही   है ।भेदभाव का  तो   चुनाव को मन में विचार  तक नहीं आता  हैं।  चुनाव बहनों की  , किसानों की तो   इस  कदर चिंता कर रहा  हैं की मत पूछिए  साहब । सब  सीधे  खाते मे ट्रांसफर। खाते मे रूपये   होगें तो  बहनें सशक्त  बनेगी ,   किसान स्वाभिमान से जी सकेगा। बहनों को  सावन के  झूले  डाले  जाए , खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए।आखिर    इन सब बातो मे बुराई   क्या है?सुंदर  बाते  है। वर्षो मे ऐसा  अवसर उपस्थित हुआ है जब सावन मे अधिक  मास हैं तो  सब कुछ  होना चाहिए ।आख़िर चुनाव को   तो सब  बातो का ध्यान रखना होता है। सिर्फ वोट मांगे यह  तो  उचित नहीं है। चुनाव कोई चूक नही होने  देना चाहता है की कल को कोई उस पर तोहमत लगाए की  चुनाव आप ये काम नहीं कर पाएं, कोई कसर बाकी नहीं रहना चाहिए ।मां अन्नपूर्णा  की तो चुनाव पर ऐसी  कृपा हुई हैं की मत ही पूछिए। समाज के समाज मां अन्नपूर्णा के   आर्शीवाद से चुनाव के प्रेम भरे  निमंत्रण  को  पा पाकर  आत्मविभोर हो उठे हैं । इस समय चुनाव के प्यार प्रेम से पुराने  मित्रों सुदामा का  तो जैसे भाग्य उदय ही हो गया हैं चुनाव इस कदर का गले मिल रहा है की बस गला दबाकर प्राण नही  ले रहा अन्यथा  प्यार स्नेह मे कोई कसर नही  छोड़ रहा है । एक बहुत ही बड़ी बात हैं चुनाव  का व्यक्तित्व चुंबकीय होता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता हैं चुनाव कुछ करे या न करें पर चुनाव के पीछे पीछे सब दुम दबाकर घूमते दौड़ते है और चुनाव ने पीठ फेरी की भला बुरा कहना शुरू कर देंगे ।
अरे  आजकल चुनाव बहुत  परेशान कर रहा हैं । चैन सुख शांति सब छीन लिया है पर करे क्या मजबूरी है। चुनाव लोगों के इस बर्ताव से  भली भांति परिचित हैं पर चुनाव समय अनुकूल होने की राह देखता है ।अभी चुनाव का समय  कठिन चल रहा है । चुनाव के पीछे राहु केतु शनि सब  पड़े हुए हैं। चुनाव का यह समय परिश्रम, धैर्य, सुनने , का समय हैं   इसलिये चुनाव सब सहन कर  रहा है एक बार बस यह समय निकल जाएं फिर चुनाव  अपना असल रंग दिखाना शुरू  करेगा और फिर चुनाव   सावन के झूले से ऐसा उतारता है की भविष्य मे  झूले की याद  तक नहीं आती  , फिर वह  न घर पर मिलता है , न बाजार मे , न चौक   चौपाल  और फिर  सब फुटबाल  बने उसे इधर से उधर से तलाशते फिरते रहते हैं।
खैर जो भी हो चुनाव  जीवन मे अपनें लिए कुछ भी नहीं  करता हैं।  वह   जो कुछ भी करता हैं या कर  रहा है  बस  समाज के लिए  , लोगो के लिए शहर के लिए, प्रदेश के लिए , देश  के लिए भलाई के लिए ही   तो कर रहा है । हमारा फर्ज बनता है की हम  चुनाव  के इन  कार्यों की ,इन आयोजनों की , इन कल्याण कारी  योजनाओ की , भूरी भूरी प्रशंसा  करने  मे कोई कंजूसी न दिखाए  क्योंकि चुनाव अपनी आलोचना नहीं सुन सकता हैं बस चुनाव की सबसे बड़ी कमजोरी हैं। कुछ  भी हो  चुनाव इस समय रात और दिन  लोकतंत्र के लिए जबरदस्त मेहनत  कर रहा है उसका साफ  कहना है लोकतंत्र बचेगा तो सब रहेगा ये धरती , प्रकृति , नदी , गाय  ये सब लोकतंत्र से  ही तो हैं अन्यथा बताइए क्या है? चुनाव इस समय  निर्विकार सापेक्ष भाव से कार्य करने मे जुटा हुआ है।
 मेरी  सच्ची बातो से यदि चुनाव को कोई व्यक्तिगत ठेस पहुंची हो तो मैं सुदामा दोनों हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं।
- हेमंत चंद्र दुबे बबलू...
चुनाव के हित मे सुदामा पार्टी से...