बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । चांदू सोसायटी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट हरिराम की कार्यप्रणाली और कारगुजारियों का खुलासा कर रही है। इस खुलासे  को देखकर सहकारिता को समझने वालों का कहना है कि इस आधार पर तो हरिराम कब का बर्खास्त हो जाना चाहिए था, लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ है तो यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं है! उनका कहना है कि डीआर कार्यालय के ऑडिटर द्वारा किए गए ऑडिट और उसकी रिपोर्ट के आधार पर यह बिल्कुल साफ समझ आता है कि वर्षो से चांदू में सोसायटी का संचालन विधिवत तरीके से नहीं हो रहा है? यहां कई तरह के गड़बड़झाले हैं और इससे सहकारी समिति के वित्तीय प्रबंधन में भी गोलमाल नजर आता है! ऐसी स्थिति में इस तरह की समिति में नियम अनुसार प्रबंधक को हटाकर परिसमापक बैठा दिया जाना चाहिए? यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह घोर अपराध है? इस मामले में कलेक्टर को एक समिति बनवाकर अलग से जांच करवाना चाहिए?

- ऑडिट आपत्ति : 01- संस्था की अचल संपत्ति की जानकारी छिपाने का प्रयास...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि चांदू समिति में टीम हरिराम किस तरह से गोलमाल करती है! हालत यह है कि संस्था के स्वामित्व वाले गोदाम, भवन और उचित मूल्य दुकानों के भवन की जानकारी का कोई रिकार्ड प्रस्तुत ऑडिटर को नहीं दिया गया, मौखिक रूप से जानाकारी दी जा रही थी? रिकार्ड प्रस्तुत न करने से भवन निर्माण, लागत, क्षमता आदि की जानकारी स्पष्ट नहीं हुई?

- ऑडिट आपत्ति : 02- संचालक मंडल की बैठक का एजेंडा ही मिला नदारद ...
संस्था के संचालक मंडल की यदि बैठक होती है तो उसके पहले उसका एजेंडा तैयार किया जाता है जिस पर विमर्श होता है, लेकिन वर्ष 2014-15 के ऑडिट में यह सामने आया कि चांदू समिति में संचालक मंडल की बैठक में किसी तरह का कोई एजेंडा ही नहीं था? एजेंडा न होने से क्या निर्णय लिए गए, क्या चर्चा हुई इस पर स्पष्टीकरण नहीं था! आगामी बैठक में एजेंडा उपलब्ध कराने के लिए कहा गया?

- ऑडिट आपत्ति: 03- सदस्यों पर कर्ज और ब्याज की सूची ही गायब...
वर्ष 2014-15 के ऑडिट के दौरान यह सामने आया कि संस्था में 31 मार्च 2015 की स्थिति में सदस्यों पर बकाया कर्ज और सूद की सूची ही उपलब्ध नहीं है! विभिन्न पत्रकों में दिखाए गए सदस्यों पर बकाया कर्ज एवं सूद राशि का मिलान तक नहींं किया गया? जिससे गोलमाल होने की पूरी आशंका है? ऐसी स्थिति में इसके लिए ऑडिटर ने संस्था प्रबंधक को जिम्मेदार माना है! सूची न होने से गोलमाल स्पष्ट नहीं हुआ?

- आखिर हरिराम नियम कायदों से ऊपर क्यों नजर आ रहा..?
सहकारिता क्षेत्र में भ्रष्टाचार के लिए उदाहरण के तौर पर बताया जाने वाला हरिराम ऑडिट रिपोर्ट में भी कई तरह के घपलों में संदिग्ध नजर आने के बावजूद भी आखिर क्यों बचता रहा? यह बड़ा सवाल है, यदि इस सवाल का जवाब खोजा जाएगा तो यह सामने आएगा कि हरिराम के हाथ बहुत ऊपर तक है! सबसे बड़ी बात यही है कि भाजपा का विधायक हो या कांग्रेस विधायक हो सबको मैनेज रखने में हरिराम को विशेषज्ञता हासिल है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल, 31 जनवरी 2023