बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । चांदू सोसायटी में हरिराम के नेतृत्व में जिस तरह से सहकारिता के कार्य किए गए उसमें भयंकर घपले बाजी  उजागर हो रही है। ऑडिट रिपोर्ट में रोकड़ बही की जांच के दौरान किसानों से वसूल किया गया ऋण तक हरिराम हजम कर गया? जिसकी हरिराम से वसूली के लिए ऑडिटर ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए! जिस तरह के घपले 2014, 2015-16 की ऑडिट रिपोर्ट से सामने आ रहे है उससे यह तो साफ हो रहा है कि सहाकारिता के तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर हरिराम ने समिति का संचालन किया है और हर तरीके से गोलमाल किया है! जिस तरह से ऑडिट रिपोर्ट में रोकड़ बही को लेकर स्थितियां सामने आई है उसमें तो स्पष्ट रूप से हरिराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना था? अब ऐसा क्यों नहीं हुआ इसके कई कारण हो सकते है पर सबसे बड़ा कारण यह है कि हरिराम मुंह बंद करने की कला में पारंगत बताया गया है! इसलिए उसके खिलाफ भयंकर घपलेबाजी के खिलाफ कुछ नहीं होता है? 

- केसीसी चैक निरस्त नहीं करने पर मांगा गया स्पष्टीकरण...
31 मई 2014 को रोकड़ बही के पृष्ठ क्रमांक 46 पर भरत वल्द लहाण्या निवासी प्रभुढाना को 1 लाख 50 हजार का नगद ऋण वितरण कर काट दिया गया, जबकि प्रमाणकों में सदस्य का केसीसी चैक क्रमांक 135289 दिनांक 25 मई 2014 संलग्र है। जिसे निरस्त भी नहीं किया गया? इसे संदेहास्पद स्थिति निर्मित होती है और इसको लेकर ऑडिटर ने प्रबंधक से स्पष्टीकरण भी मांगा है, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया!
केशबुक और प्रमाणक में राशि में अंतर प्रबंधक पर खड़े करता है सवाल
ऑडिट के दौरान यह सामने आया कि 14 अप्रैल 2014 को रोकड़ पृष्ठ क्रमांक 8 पर आमद पक्ष में ग्रामीण बचत बैंक जमा 59400 दर्ज किया गया, जबकि मुख्य प्रमाणक 59000 का होना पाया गया? इस प्रकार प्रमाणक और केश बुक में अंतर होना भी सवाल खड़े करता है और प्रबंधक की योग्यता और हिसाब किताब करने की क्षमता पर भी सवाल खड़े करता है! इस बात को लेकर भी ऑडिटर ने सवाल खड़े किए है?
वर्ष के अंत में होने वाली समापोषण प्रविष्टिया रोकड़ बही में नहीं लिखी
ऑडिटर ने स्पष्ट रूप से बताया कि संस्था की रोकड़ बही 21 मार्च 2015 तक लिखा जाना पाया गया? इसके उपरांत वर्ष के अंत में की जाने वाली समापोषण प्रविष्टिया नहीं लिखी गई है। जिससे यह ज्ञात नहीं होता कि वर्ष के अंत में बैंक को किस-किस मद में ब्याज देना है और सदस्यों से किस-किस मद में ब्याज लेना है? वर्ष के अंत पर लेनदारी और देनदारी कितनी बाकी है यह दर्ज न होना घोर आपत्तिजनक है?

- हरिराम की नियत 1230 रूपये पर खराब हुई, वसूली के थे आदेश...
ऑडिट के दौरान रोकड़ बही की जांच में सामने आया कि रसीद क्रमांक 16/1092 द्वारा दिनांक 24 अप्रैल 2014 को बलराम वल्द गुज्जा सीताराम से 1230 की सूद राशि वसूल की गई! जिसकी आमद रोकड़ बही में नहीं दर्ज की गई? इसी रसीद को मूलधन रसीद के रूप में प्रविष्टि रोकड़ पृष्ठ क्रमांक 13 पर की गई? इसलिए सूद की राशि 1230 रूपये प्रबंधक हरिराम से वसूल करने के ऑडिटर ने निर्देश दिए है! यह सिर्फ एक उदाहरण है? ऐसे और कई घपले हरिराम ने किए है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल , 04 फ़रवरी 2023