बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। एसपी ऑफिस के बाबू साहब को बहुत पावरफुल माना जाता है।  ऐसा कहा जाता है। बड़े-बड़े थानेदार भी इनके सामने हुक्म बजाते है। हालत यह है कि एसपी ऑफिस के बाबू साहब ने अवैध रूप से पुलिस लाईन के सरकारी आवासों पर लंबे समय से कब्जा कर रखा है। इस अवैध कब्जे को लेकर पुलिस लाईन की रक्षित निरीक्षक मनोरमा बघेल ने आवास खाली करने के लिए इन बाबू साहब को कहा भी और लिखित में कई बार नोटिस दिए, लेकिन इसके बाद भी बाबूसाहब ने आवास खाली करना और आरआई के आदेश का पालन करना भी जरूरी नहीं समझा। ऐसी स्थिति में रक्षित निरीक्षक को मजबूरी में इनसे सरकारी आवास खाली कराने के लिए एसडीएम को पत्र लिखना पड़ा। बताया गया कि बैतूल एसडीएम ने अब इन्हें आवास खाली करने  के लिए नोटिस जारी किया है, यदि इसके बाद भी इनके द्वारा आवास खाली नहीं किया जाता है तो एसडीएम नियम अनुसार सख्ती बरतते हुए सामान घर से बाहर निकालकर आवास खाली कराएंगे। अब देखना यह है कि अब तक आवास खाली न कर अपनी दबंगता का परिचय दे रहे इन बाबू साहब पर भी एसडीएम के नोटिस का कोई असर होता है या नहीं या फिर यह लोग नोटिस के आधार पर कोर्ट जाते है?

- इन तीन बाबू साहब को दिया गया है आवास खाली करने नोटिस...
बताया गया कि एसडीएम बैतूल ने पुलिस लाईन के एनजीओ आवास में रहने वाले सहायक उपनिरीक्षक, लिपिक वैष्णव मन्नासे, अर्जुड डोडबेल और प्रधान आरक्षक चन्द्रशेखर माकोड़े को नोटिस जारी किया है।

- एसआई और टीआई स्तर के लिए एनीओ आवास की होती है पात्रता...
बताया गया कि 2800 और 3200 के पे ग्रेड के आधार पर एनजीओ आवास की पात्रता होती है, इस लिहाज से उक्त आवास में एसआई और टीआई स्तर के पुलिस अधिकारियों को ही आवंटन होना चाहिए।

- कई टीआई के परिवार सुयोग कालोनी में किराए से कर रहे निवास...
बताया गया कि सरकारी आवास न मिलने के कारण टीआई अनुराग प्रकाश, संतोष पन्द्रे, अजय सोनी, सतीश अंदमान आदि के परिवार किराए से सुयोग कालोनी में रह रहे है।

- लिपिक वर्ग को आवास आवंटन किए जाने पर हमेशा रहता है विवाद...
रक्षित केन्द्र के आवासों में लिपिक वर्ग को आवास दिए जाने को लेकर हमेशा विवाद रहता है और कहा जाता है कि इन शासकीय आवासों की पात्रता ही नहीं है।

- मन्नासे के हाथ में है आवास आंवटन का पूरा खेल और वही अवैध कब्जा कर बैठा...
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार अनुकंपा नियुक्ति वाले वैष्णव मन्नासे एसपी ऑफिस में लिपिक है और उसके पास ही आवास आवंटन, पैनल रेंट, आवास अनुमति आदि की नोटशीट, फाईल आदि चलाने की जिम्मेदारी है। उसी ने नियम विरूद्ध तरीके से अपने लिए एनजीओ आवास का आवंटन करा लिया, लगातार खाली करने के लिए कहा जा रहा है तो भी खाली नहीं कर रहा। हर स्तर पर रक्षित केन्द्र निरीक्षक द्वारा नोटिस आदि की कार्रवाई की गई फिर भी काबू में ही नहीं आ रहा है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 23 फ़रवरी 2023