मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव अवतार लिया था। इस बार काल भैरवाष्टमी का पर्व 19 नवंबर, मंगलवार को है। भगवान शिव ने भैरव अवतार क्यों लिया, इससे जुड़ी कथा इस प्रकार है।

 - भैरव अवतार की कथा...
शिवपुराण के अनुसार, एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। इस विषय में जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया।
तभी वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी। उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। अत: मेरी शरण में आओ।
ब्रह्मा की बात सुनकर भगवान शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। आप से काल भी भयभीत रहेगा, अत: आप कालभैरव हैं।
मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य आपको सर्वदा प्राप्त रहेगा। उक्त नगरी के पापियों के शासक भी आप ही होंगे। भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्माजी का पांचवा सिर काट दिया।
 

- अवगुण त्यागने की सीख भैरव अवतार से...
भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप माना गया है। भगवान शंकर के इस अवतार से हमें अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव के बारे में प्रचलित है कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले तथा मदिरा के सेवन करने वाले हैं। इस अवतार का मूल उद्देश्य है कि मनुष्य अपने सारे अवगुण जैसे- मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: धर्ममय आचरण करें। भैरव अवतार हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि हर कार्य सोच-विचार कर करना ही ठीक रहता है। बिना विचारे कार्य करने से पद व प्रतिष्ठा धूमिल होती है।  

- तंत्र-मंत्र के देवता हैं कालभैरव...
भगवान भैरवनाथ तंत्र-मंत्र विधाओं के देवता हैं। माना जाता है। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। शिव और शाक्त दोनों संप्रदायों में भगवान भैरव की पूजा महत्वपूर्ण मानी गई है।   इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। भैरवनाथ अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं।  

- कालभैरव के पूजन से मिलते हैं ये सुख...
भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा होती है। भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवच आदि का नियमित पाठ करने से कई परेशानियां खत्म होती हैं।