बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। धरती को पॉलीथिन मुक्त कराने के अभियान में "75 दिन 75 कदम" जैसा प्रयोग करने वाले धरती पुत्र हेमंतचन्द्र बबलू दुबे ने विधायक डागा और अभाविप के छात्रों के मध्य तनातनी और हॉट-टॉक को देखकर विधायक डागा के नाम एक सार्वजनिक पत्र जारी किया है। जिसमें उन्होंने विधायक डागा को मुफ्त सलाह देते हुए कहा कि यदि गुस्सा ही करना हेै तो नदी, नाले और पर्यावरण को बचाने के लिए पॉलिथिन के खिलाफ करें तो कुछ सार्थक होगा।
विधायक महोदय  का एक छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं को  राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिना अनुमति  बैठा देख  गुस्सा फूट पड़ा   गुस्सा आना स्वाभाविक है  राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के  चलते  गुस्सा  आना ही  था और  बिनाअनुमति  गैर कानूनी कार्य हो तो फाइल चलना ही चाहिए और कार्यवाही भी होना चाहिए।गुस्सा आपका है किस पर  आए  किस पर न आए उस पर    कोई  व्यक्तिग्त  टीका टिप्पणी  नहीं की जा सकती हैं किन्तु जब एक जन प्रतिनिधि  होने के नाते  गुस्से के  मापदंड    दोहरे हो जाते है  तब एक नागरिक की हैसियत से जन प्रतिनिधियों से नागरिक को यह पूछने का अधिकार  होता हैं की आपके गुस्से की  परिभाषा में क्या  क्या  समिल्लित है क्या नही? क्योंकि प्रकृति, नदी ,धरती मां के  साथ हुए अन्याय  को देखकर आपका गुस्सा ठंडा पड़ जाता है। इसलिये   सार्वजनिक रूप से एक नागरिक की हैसियत से गुस्से पर आपसे बात  करने का  मन हुआ । यह देख कर  दु:ख होता है की  3 अप्रैल 2023  को मुख्यमंत्री की पुलिस ग्राउंड में लाडली बहना योजना  के तहत विशाल  कार्यक्रम के  आयोजन में कानून  का जो  मजाक  बनाया गया  यह सब देख आप का क्रोध काफुर हो जाता है । आखऱि क्यों? खुलेआम प्रशासन के  जि़म्मेदार अधिकारियो के द्वारा राजनेताओं की उपस्थिति में धरती मां के साथ जो      अन्याय पूर्ण व्यवहार अत्याचार करते हुए प्रतिबंधित पॉलिथिन प्लास्टिक डिस्पोजल  सामग्री का  बेरहमी   से व्यवहार करते हुए फेंका  जाता है यह सब देख  आप  क्रोधित नही हो पाते हैं। ऐसा लगता है जैसे आप सत्ता और  प्रशासन से   कोई    दोस्ती  निभा रहे होगें । संवैधानिक पद पर  रहते हुए धरती मां के साथ हुआ यह कृत्य क्या आपके गुस्से की परिभाषा से बाहर है ?  जबकि पोलिथीन प्लास्टिक पर बने  प्रतिबन्ध के  कानून पर   आपके भी  हस्ताक्षर हैं   और   आपके ही स्वीकृति के बाद  वह कानून बनाया गया हैं।  कया धरती के साथ हुए इस  अन्याय पूर्ण व्यवहार में आपकी मौन स्वीकृति धरती के प्रति  आपके समर्पण  के  भाव को  व्यक्त कर रही है।? कया आपको धरती के साथ हुए इस  बर्ताव के लिए क्रोधित होते   यह नहीं बोलते देखा और सुना जाना चाहिए था की जिन अधिकारियो  राजनेताओं ने धरती  के साथ यह अमानवीय व्यवहार किया है  सुन लो सबकी   फाइल चल जाएगी आखिर कौनसा  अदृश्य   भय व्याप्त था की आप धरती के साथ हुए   अन्याय को चुपचाप सहन करते जिला प्रशासन राजनेताओं की फाइल चलवाने में आप संकोच  कर  जाते हैं  और इस मुद्दे  पर मौन धारण करके क्लीन चिट दे देते हैं । मां माचना  , मां ताप्ती मृत प्राय: हो गई  किसी  कोई गुस्सा नही आता है ! हजारों पेड़ विकास के नाम पर सड़को के किनारे काट दिए जाते है  किसी की कोई  गुस्सा नही  आता है । परीक्षा के  दौरान पूरे   साउंड पर डी जे  बज जाए  किसी को  गुस्सा नही आता हैं।बस आप लोगो को  गुस्सा आता है एक दूसरे की  राजनैतिक  विचारधारा  का  विरोध करने में जिससे धरती प्रकृति नदी गौ माता का कोई लेना देना नही होता हैं। कैंसर में मौत है या हत्या कभी । क्रोध नही आता । क्या   कैंसर रोधी कानून नही बनाया जाना चाहिए और ऐसा नहीं होने  पर आपको क्रोध नहीं आना चाहिए । प्रदेश में तेंदू पत्ता नीति है  तो क्या पत्तल दोना नीति नहीं होना चाहिए और यदि पत्तल दोना नीति नहीं है तो क्रोध नहीं आना चाहिए । शराब  नीति है दूध नीति  नही है क्रोध नही आना चाहिए।
 अंत मे माफ़ी मांगते हुए यही निवेदन करना चाहूंगा कि  राजनैतिक विचारधारा की प्रतिबद्धता के अलावा भी  सभी (जन प्रतिनिधि) प्रकृति , नदी, धरती को बचाने के लिए कभी कभी क्रोधित हो तो धरती मां प्रकृति को भी लगेगा की पद पर आसीन उसको चाहने वाले बेटे उसे दिल से चाहते है और उसकी चिंता करते है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 22 अप्रैल 2023