- क्या सच, क्या झूठ... वाहवाही के चक्कर में इवेंटस क्रिएट करने वाले नहीं दे पा रहे ठोस जवाब

 

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा।  नीट प्रवेश परीक्षा में बैतूल जिले से सरकारी स्कूलों के करीब 40 छात्रों के क्वालीफाई करने पर शिक्षा विभाग और आदिम जाति विभाग के अधिकारियों ने कलेक्टर की नजर में अपने नंबर बढ़ाने के लिए गुरूवार को एक जोरदार इवेंट क्रियेट किया। सरकारी स्कूल के जिन छात्रों ने मेहनत करके नीट क्वालीफाई किया है, उनको और उनके अभिभावको और शिक्षकों को जिला मुख्यालय में तलब किया गया। इसके बाद कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस और क्वालीफाई करने वाले छात्रों के मध्य मन की बात टाईप टॉक शो करवाया गया। इसके बाद इसके बाद प्रचार-प्रसार और बढिय़ा कवरेज भी हुआ। यह कवरेज और सबकुछ देखने के बाद लोगों के मन में जिज्ञासा यह है कि जिन 40 बच्चों को वाहवाही के लिए एकत्र किया गया उनमें से कितने का एडमिशन एमबीबीएस में होगा और कैसे होगा?

 

सवाल 01: -  एमबीबीएस में प्रवेश के लिए क्या रैकिंग चाहिए क्या इवेंट करने वाले अफसरों को नहीं पता ?

सामान्य तौर पर नीट परीक्षा क्लीयर करने और एमबीबीएस कॉलेज में एडमिशन होने को लेकर बड़ा फर्क है। जिन अधिकारियों ने यह पूरा इवेंट क्रिएट किया क्या उन्हें यह बात पता नहीं है। आदिम जाति कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग को हेड कर रहे अधिकारी क्या यही नहीं जानते कि एमबीबीएस में एडमिशन के लिए वर्ग वार कम से कम कितनी रैकिंग होना चाहिए? अधिकारी सबकुछ जानते है, लेकिन उन्हें वाहवाही करना है अपना काम दिखाना है, इसलिए इस तरह का इवेंट क्रिएट किया गया, जिसमें यह दिखे कि बहुत बड़ा कुछ ऐसा हो गया है जिसके लिए उन्हें तारीफ मिलना चाहिए। भले ही उसका कोई ठोस फायदा बच्चों का न हो।

 

सवाल 02 : -  मार्गदर्शन और काउंसलिंग का दावा करने वाले यह बता दे कि कौनसे कॉलेज में होगा एडमिशन...

जिस तरह से कलेक्टर के साथ बच्चों के टॉक शो की ब्राडिंग करने के लिए दावे किए गए क्या वह पूरी तरह से सत्य है? जो बैतूल जिले के 40 बच्चों की रैकिंग है, यह उन्हें मिले हुए अंक है, उसमें उनके पास क्या-क्या संभावना है, क्या इससे जिम्मेदार अधिकारी परिचित नहीं है? फिर किस आधार पर जारी प्रेस नोट में यह दावा किया गया कि बच्चों को अच्छे महाविद्यालय में प्रवेश के लिए काउंसलिंग और मार्गदर्शन का काम किया जाएगा। जो प्रेस नोट में दावा किया गया है कि नीट उत्तीर्ण विद्यार्थी वरिष्ठ अधिकारियों से मार्गदर्शन के लिए कभी भी संपर्क कर सकते है, तो क्या वरिष्ठ अधिकारी बताएंगे कि उनका कौनसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो रहा है?

 

- इनका कहना...

एमबीबीएस में एडमिशन कठिन है यह सही बात है, लेकिन इनके लिए जो अन्य विकल्प है वे भी खुले हुए है। यह इसलिए किया गया कि बच्चों और उनको प्रशिक्षित करने वाले शिक्षकों का उत्साहवर्धन हो। 

- अनिल सिंह कुशवाह, बीईओ, बैतूल।

 

- मुझे तो बिल्कुल भी आईडिया नहीं है कि किस रैकिंग पर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश होता है। अभी तो काउंसलिंग के बाद ही मैं कुछ बता पाउंगी। मुझे बिल्कुल कुछ नहीं मालूम।

- शिल्पा जैन, सहायक आयुक्त, बैतूल।

 

- जो अधिकारी सच बोलने की जगह यह कह रहे है कि उन्हें रैकिंग वगैरह का बिल्कुल आयडिया नहीं है तो उनकी योग्यता पर यह बड़ा प्रश्र चिन्ह है और इन्हें तत्काल पदमुक्त कियाप जाना चाहिए।  

- आकाश शुक्ला, अधिवक्ता, बैतूल।

 

नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 17 जून 2023