आमला / बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की राजनीति की दिशा किस तरफ और क्यों जा रही है यह सबको समझ आ रहा है। वे चाहे कितनी भी पत्रकारवार्ता कर ले और कितना भी मीडिया मैनेजमेंट कर ले पर सच्चाई यह है और लोगों को स्पष्ट नजर आ रहा है कि वे बाहरी है, उनका बैतूल जिले से कोई लेना देना नहीं है। केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए वे तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। वे चुनावी माहौल में चेहरा बनने के चक्कर में तरह-तरह के फार्मूले इस्तेमाल कर रही है, लेकिन आमला विधानसभा क्षेत्र के लोगों को भी अच्छे से समझ आ रहा है कि आमला से जो लाड़ प्यार दिखाया जा रहा है वह केवल चुनावी गणित है। निशा बांगरे की राजनीति के पीछे बैतूल की कौन सी स्थानीय ताकते गुणा भाग कर रही है, कौन उनसे किस तरह का आर्थिक फायदा लेकर ब्राडिंग करने में लगा है। यह भी धीरे-धीरे स्पष्ट होते जा रहा है। आखिर निशा बांगरे को हवा देने को काम क्यों किया जा रहा है? इसके पीछे किस भूतपूर्व मीडियाकर्मी की रणनीति है और उसके माध्यम से किस कांग्रेस विधायक द्वारा कांग्रेस के अंदर उनके लिए लाबिंग की जा रही है। 
यह भी धीरे-धीरे लोगों को समझ आने लगा है। कुल मिलाकर निशा बांगरे जिस सामाजिक समीकरण के हिसाब से अपना गणित सेट करने का प्रयास कर रही है वह सेट होने की गुंजाईश नजर नहीं आ रही है। क्योंकि आमला- सारनी क्षेत्र का मतदाता बहुत समझदार और जागरूक है। वैसे भी यह तो कन्फर्म है कि आमला विधानसभा क्षेत्र से मनोज मालवे ही कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा से डॉ. योगेश पंडाग्रे का ही चुनाव लडऩा तय है। अभी तक जो भी राजनीतिक समीकरण है उसमें दोनों पार्टी से निशा बांगरे को टिकट मिलने की संभावना दूर-दूर तक नहीं है। वहीं जिस तरह से वे मेडम की कहानी को गोल-गोल करके घुमा रहे हैं उसमें यह बड़ा सवाल यह है कि निशा बांगरे सर्वधर्म सम्मेलन करा रही है या मकान का उद्घाटन यह भी स्पष्ट नहीं है, दूसरा उन्होंने अनुमति के लिए क्या प्रयास किए है यह भी स्पष्ट नहीं है और कौन अनुमति नहीं मिलने दे रहा है यह भी स्पष्ट नहीं कर रही है? इसके अलावा उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया है या नहीं दिया है, यह भी स्पष्ट नहीं है। मतलब पूरी की पूरी कहानी ही गोल-गोल है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 25 जून 2023