बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । खरीफ सीजन में बोवनी का दौर शुरू हो गया है और किसान धड़ाधड़ बीज उठा रहा है। वर्तमान में बाजार में सर्टिफाईड बीज की जगह टीएल के नाम पर संदिग्ध बीज बेचा जा रहा है। इस बीज की गुणवत्ता क्या है, प्रमाणिकता क्या है किसी को कुछ नहीं पता। यह सब देखने की जिम्मेदारी कृषि उपसंचालक की है, लेकिन वे तो मीटिंग्स में कलेक्टर को आंकड़ों का खेल दिखाते है और अपने एसी चेम्बर में बैठकर अति व्यस्त होने का दिखावा करते पाए जाते है, जबकि कायदे से उन्हें और उनकी टीम को फिलहाल बाजार में होना चाहिए और खाद बीज की दुकानों की निरंतर मॉनीटरिग करना चाहिए पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
खरीफ सीजन में मक्का और धान तथा सोयाबीन का ही सबसे बड़ा रकबा बैतूल जिले में रहता है। फिलहाल जो स्थिति है उसमें धान और मक्का में हाईब्रिड बीज ही बाजार में बेचा जा रहा है। इस बीज की प्रमाणिकता का कोई टैग बीज के पैकेट या थैली पर नजर नहीं आ रहा है। जो मक्का बीज के खुबसूरत पैकिंग है उस पर टीएल लिखा है, जिसका मतलब ट्रूथफुल होता है। जिसका अर्थ सत्यप्रमाणित होता है। अब यह सत्यप्रमाणित किसने किया इसकी कोई जानकारी उस पैकेट पर दर्ज नहीं होती है। किस सरकारी संस्था ने इस बीज को अंकुरण योग्य माना है, इसकी कोई भी जानकारी बीज के पैकेट या बोरी पर नजर नहीं आ रही है। इस तरह से इस बीज को संदिग्ध माना जाएगा। बैतूल जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में इसी संदिग्ध बीज की खरीफ फरोख्त हो रही है, जिसे रोकने या उसकी जांच पड़ताल करने को लेकर कृषि विभाग का अमला मैदान में नजर नहीं आ रहा है। हालात यह है कि यह मक्का बीज की 5 किलो का अलग-अलग कंपनियों का पैकेट अलग-अलग दाम में बिक  रहा है। जैसे एक पैकेट की कीमत 550 रूपए है तो दूसरा 750 रूपए का है और तीसरा पैकेट 1000 रूपए का बताया जा रहा है। अधिकांश किसानों को यह पता ही नहीं है कि यह बीज प्रमाणित है या नहीं। वे तो दुकानदार के भरोसेे महंगा बीज खरीदकर ले जा रहे है। इन पूरी स्थितियों को देखने के बाद एक बात स्पष्ट नजर आती है कि कृषि विभाग और उसके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे है। जो जनप्रतिनिधि है वे भी किसानों के साथ होने वाले इस छल को लेकर कोई आवाज नहीं उठाते है। 

- बीज प्रमाणिकरण के संस्था जैसा सर्टिफाईड जैसा टैग लगाकर गुमराह करने का खेल...
बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित बीज के लिए जिस तरह का टैग जारी किया जाता है, उसी तरह का टैग धान के बीज की बोरियों पर लगाया जा रहा है और उस पर भी टीएल लिखा जा रहा है, यह गुमराह करने का खेल है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 26 जून 2023