बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। वर्तमान में बारिश होने के साथ ही बोवनी का दौर शुरू हो गया है। खरीफ सीजन में खाद और बीज की दुकानों पर लोग उमड़ पड़े है। ऐसी स्थिति में बोवनी के लिए किसान जो बीज या खाद खरीद रहा है वह किस स्तर का है उसकी गुणवत्ता क्या है, इसका कोई प्रमाणित आधार नहीं है। इन चीजों को जिनको निगरानी करना चाहिए, जांच पड़ताल करनी चाहिए। वे अपने एसी चेम्बर में बैठकर साहब बने हुए है और बहुत हुआ तो कलेक्टर को मीटिंग में और अपने भोपाल के बॉस को वीसी में आंकड़ेबाजी का खेल दिखा रहे है? आंकड़ेबाजी के इस खेल में भी वर्तमान कृषि उपसंचालक रामगोपाल रजक फेल नजर आ रहे है। उच्च शिक्षित किसानों का कहना है कि खरीफ सीजन के लिए खाद, बीज और कीटनाशक के सेम्पल के लिए जो टारगेट दिए गए थे वह भी बैतूल जिला पूरा नही कर पाया है। यदि नर्मदापुरम संभाग के तीनों जिलों के आंकड़ों को देखा जाए तो सबसे खराब स्थिति बैतूल जिले की ही नजर आती है। अब ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि डीडीए रामगोपाल रजक और उनकी टीम कर क्या रही है। जब बोवनी के पहले बीज, खाद की पर्याप्त मात्रा में सेम्पलिंग नहीं कर पा रहे है, इससे साफ नजर आता है कि वे अपना काम ठीक से नहीं कर रहे है? जब सेम्पलिंग ही अभी पूरी नहीं हो पाई तो रिजल्ट पता नहीं कब आएगा, ऐसे में किसानों का जो नुुकसान होगा इसकी जिम्मेदार किसकी होगी?

- सेम्पल लेने का कोई ठोस फार्मूला नहीं...
वर्तमान में बैतूल जिले में जो सेम्पल लिए जा रहे है वे महज खानापूर्ति करने के लिये लिए जा रहे है। इसमें ऐसा कोई फार्मूला नहीं है जिससे बीज के अंकुरण को लेकर सेम्पलिंग की जाये जाए। बाजार में जिस तरह से बीज बिक रहा है उसमें साफ नजर आता है कि दुकानदारों को अमानक बीज बेचने में कोई डर नहीं।

- टारगेट से आधे सेम्पल ही अभी लिए...
बैतूल , हरदा और नर्मदापुरम जिले के लिए बीज में 320 - 320 सेम्पल लेने का टारगेट लिया गया था, लेकिन बैतूल जिले में अभी तक महज 170 सेम्पल ही लिए गए है। जो कि कुल टारगेट का आधा है। जबकि हरदा, नर्मदापुरम में 280 सेम्पल अब तक कलेक्ट किए जा चुके है।

- सोयाबीन में सबसे ज्यादा फेल सेम्पल...
यदि पुराना ट्रेक रिकार्ड देखा जाए तो खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा सेम्पल फेल होते है और इसका बड़ा कारण सोयाबीन है। सोयाबीन में यदि छिलका भी जरा सा टूटता है तो सोयाबीन बीज का अंकुरण नहीं होता। इसके बावजूद सोयाबीन के सेम्पल लेने में सबसे ज्यादा कंजूसी हो रही है।

- बीज उत्पादकों के साथ है सीधा गणित...
जो लोकल बीज उत्पादक है उनके साथ तो गणित है ही, पर हाईब्रिड बीज बेचने वाली कंपनियां है उनके साथ भी कृषि विभाग का सीधा गणित बताया जाता है और उन कंपनियों के साथ यह गणित हल करवाने में खाद, बीज विक्रेता संघ की बड़ी भूमिका बताई जाती है। इसलिए सबकुछ औपचारिक है।

- बोवनी के बाद आएगी रिपोर्ट...
जिस तरह से सेम्पल लेने में लेटलतीफी की गई और पूरे सेम्पल नहीं लिए गए उससे साफ है कि जब किसान पूरी बोवनी कर चुका होगा तब सेम्पल रिपोर्ट आएगी। फिर ऐसे में बताया ही नहीं जाएगा कि किस लॉट का बीज फेल हुआ था और किसान को क्या क्षतिपूर्ति मिलेगी।

- इनका कहना...
खाद और बीज को लेकर इस सीजन में जो शिकायतें सामने आ रही है, उसे देखते हुए कलेक्टर से कहेंगे कि वह उपसंचालक कृषि को निर्देशित करें कि व्यवस्थित तरीके से खाद, बीज की सेम्पलिंग और जांच करें। जिससे कि किसानों के साथ छल नहीं हो।
- आदित्य (बबला) शुक्ला, जिलाध्यक्ष, भाजपा बैतूल।

- जो कृषि विभाग के उपसंचालक है उनकी वर्किंग पर कई तरह के सवाल है, जिस तरह से नकली खाद पकड़ाई है उसके बाद तो विभाग ही जांच का विषय है। इस तरह के अधिकारियों पर नकेल कसी जाना चाहिए। यह सब ठीक नहीं हो रहा है। कांग्रेस इसको लेकर आंदोलन करेगी।
- हेमंत वागद्रे, अध्यक्ष जिला कांग्रेस बैतूल ।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 27 जून 2023