बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। कृषि विभाग में आंकड़ेबाजी का गजब खेल है और इस खेल को शानदार बनाने का काम कथित मीडिया करती है। जो बिना किसी पड़ताल के अज्ञात लोभ लालच में आंकड़ों को लोक लुभावन तरीके से पेश कर देते है। इस खरीफ सीजन में भी ऐसा ही कुछ हुआ। उपसंचालक कृषि ने आंकड़े परोसकर शानदार पंचलाईन का जुगाड़ कर लिया। अब जब सीजन पर किसानों को बीज की जरूरत है तो सरकारी सोसायटी मेंं बीज ही उपलब्ध नहीं है। बैतूल ब्लॉक की एक दर्जन सोसायटियों में बीज की उपलब्धता की जब जानकारी ली गई तो पता लगा कि सोयाबीन, धान और मक्का बीज ही उपलब्ध नहीं है।

- बाजार से महंगा खरीद रहे बीज...
जिले में जो सोयाबीन, धान और मक्का का रकबा है उस लिहाज से किसानों को सहकारी सेक्टर से बीज न मिलने पर उन्हें खुली दुकानों से बीज खरीदना पड़ रहा है और यहां पर उन्हें महंगे दाम में बीज खरीदना पड़ रहा है। जो सरकार ने बीज के लिए दाम घोषित किए थे। 

- सब्सिडी का भी हो रहा नुकसान...
सोसायटी से बीज न खरीदने पर किसान को अनुदान नहीं मिलता। वैसे नियम है कि खुले बाजार से बीज खरीदने पर यदि किसान पक्के बिल के साथ आधार और खसरा लगाकर कृषि विभाग में क्लेम करें तो उसे अनुदान दिया जाना चाहिए पर बैतूल में ऐसा नहीं होता है?

- नगद में करनी पड़ रही खरीदी...
यदि किसान सोसायटी से बीज लेगा तो उसे कर्ज पर बीज मिलेगा और यदि समय पर कर्ज चुकाता है तो उसे एक फीसदी ही ब्याज लगता है। वहीं इसमें किसान का बीमा प्रीमियम भी जमा होता है। अब ऐसी स्थिति में किसान को कर्ज स्कीम और बीमे दोनों का नुकसान है।

- इससे खुलती है दावों की पोल कि सोसायटियों ने मांगा 1800 क्विंटल बीज और मिला महज ढाई सौ क्विंटल...
जिले में खरीफ सीजन के लिए सहकारी समितियों द्वारा बीज की डिमांड सहकारी बैंक से की गई थी, लेकिन जो नई व्यवस्था बनी उसमें इस बार उपपंजीयक सहकारिता को सोसायटियों की डिमांड लेकर उन्हें बीज उपलब्ध कराना था। बताया गया कि ऑनलाईन सिस्टम से इस बार बीज की डिमांड मांगी गई और उस आधार पर सप्लाई की गई। जिले में 91 सोसायटियां है, जिन्होंने ऑनलाईन तरीके से सोयाबीन, धान, मक्का आदि में बीज की डिमांड की। तकरीबन 1800 क्विंटल बीज की डिमांड सोसायटियों द्वारा की गई, लेकिन सोसायटियों के लिए महज ढाई सौ क्विंटल बीज ही उपलब्ध हो पाया।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 28 जून 2023