बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल जिले के उद्योग विभाग में एक काकश काम कर रहा है और यह काकश इतना फैल चुका है कि इससे बाहर निकलकर उद्योग विभाग के अधिकारी देखने को ही तैयार नहीं है? इस काकश ने ऐसा मायाजाल फैला रखा है कि जो काम उद्योग विभाग को करना चाहिए वह काम भी इस काकश के पास है?

बैतूल के छोटे-बड़े उद्यमियों ने बताया कि उद्योग विभाग का कोई कथित एसोसिएशन है, जो संधारण के नाम पर उनसे शुल्क वसूली करता है और यही शुल्क निर्धारण भी करता है। पूरे प्रदेश में बैतूल एकमात्र जिला है, जहां पर किसी निजी संस्था को इस तरह का महत्वपूर्ण कार्य दे रखा है। जो जानकार है उनका कहना है कि जो संधारण शुल्क वसूला जाता है, इसका क्या उपयोग हो रहा है, कैसा उपयोग हो रहा है, किस आधार पर उपयोग हो रहा है! इसको लेकर भी कोई पारदर्शिता नहीं है? आरोप तो यह है कि यदि 500 रूपए शुल्क है तो 5 हजार रूपए तक की भी वसूली कर डालते है।

उद्योग विभाग में इस पूरे काकश का गणित कोई कथित टीम ज्ञानपांडे के आसपास ही घूमता है। उद्योग विभाग के वर्तमान महाप्रबंधक रोहित डाबर से जब इस संबंध में पूछा गया तो उनका कहना है कि हां ऐसी एक समिति 2018 से काम कर रही है। उनका कहना है कि इस तरह का प्रावधान उद्योग विभाग के नियम कायदों में है, लेकिन वे यह नहीं बता रहे है कि इसमें पारदर्शिता क्या है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 10 अगस्त 2023