- एक बार फिर हम जश्न ए आजादी मनाने जा रहे हैं। ऐसा करते हुए हमें 76 वर्ष हो चुके हैं। इन 76 वर्ष में क्या हम भारतीयों ने अपनी आजादी की रक्षा को लेकर अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन किया है या नहीं? इस बात का चिंतन भी स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ पर हमें अवश्य करना चाहिए? यह हर भारतीय का नैतिक दायित्व और प्राथमिक कर्तव्य है।
दरअसल इन 76 वर्ष के बाद भी हम अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों के प्रति आज भी जागरूक नहीं है? हमें यह तो पता है कि वोट देना चाहिए, लेकिन हमें यह नहीं पता कि वोट देने के पहले क्या करना चाहिए। जब लोकतंत्र मजबूत रहेगा तभी देश की आजादी स्थिर रहेगी और जब आजादी स्थिर रहेगी तभी देश तरक्की करेगा।
हम आजादी के तौर पर तो बहुत कुछ चाहते हैं, लेकिन हम उस आजादी को कुछ देना ही नहीं चाहते। यही कारण है कि देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गई है। बिना पैसे दिए इलाज नहीं हो रहा है, बिना पैसे दिए थानों में एफआईआर तक नहीं हो रही, बिना पैसे दिए स्कूल में प्रवेश भी नहीं मिल रहा। यह सबको पता है और सब इसको लेकर बोलते भी है, लेकिन कोई भी खुलकर इस तरह के मामलों को एक्सपोज करने के लिए सामने नहीं आता। यह बताता है कि हम आजादी का उपभोग करना चाहते हैं, लेकिन आजादी के लिए वास्तविकता में कुछ नहीं करना चाहते। साल में एक बार स्वतंत्रता दिवस का पर्व मनाने के अलावा हमें याद ही नहीं रहता है कि आजादी हमारे पूर्वर्जों ने किस तरह से हासिल की है, किस तरह से उन्होंने कुर्बानियां दी हैं। इसलिए आजादी को बचाए रखने के लिए हम आगे आएं । केवल आजादी का उपभोग न करें, अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करें और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भी करें। साथ ही जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर आजादी को समझे भी...। - हर हर महादेव...
- वन्दे मातरम... 
🖋️नवल वर्मा