आठनेर क्षेत्र में छुटभैय्ये नेताद्वय पर नाम बडे़ और दर्शन खोटे वाली कहावत हो रही चरितार्थ..?

- लोगों के इस तरह खुले आरोपों पर जिम्मेदार को देना चाहिए सामने आकर जवाब

बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। ज्यादातर अहम, वहम, मैं और हम का चक्कर ही हमें अवनति की ओर अग्रसर करता है यह जगजाहिर है। अब जब लोग यदि आरोप लगा रहे है तो जिम्मेदारों को सबके सामने आकर इसका करारा जवाब देना चाहिए? लेकिन ये नेताद्वय इसमें उलझते ही चले जा रहे हैं ज्यादातर ग़लतफहमी पालकर क्योंकि उन्हें वही सही लगता है, और वे सोचने लगते है कि नचायेंगे हम सबको ता - ता थैय्या, हमें कोई कुछ नहीं कहेगा भैय्या एवम पीएम आवास तो अपने ही बनेंगे भैय्या, अब मैं चाहे ये करुं मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी..! लेकिन समय बड़ा बलवान होता है आदमी यहाँ भूल कर बैठता है..? ऐसा ही विगत लगभग एक-दो माह से आठनेर क्षेत्रान्तर्गत जिन दो छुटभैय्ये नेताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठजन और कनिष्ठों के बीच मे जो जद्दोजहद और उथल-पुथल तथा खलबलाहट मची है अब तो वह एक अलग ही चरम सीमा के स्तर की ओर बढ़ती नज़र आ रही है ? आठनेर क्षेत्रान्तर्गत चुनाव विश्लेषकों एवम्  जानकारों और राजनीति के वरिष्ठ तथा मंझे खिलाड़ियों की माने तो इसका व्यापक असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा ही ! 
गौरतलब है कि आजकल इस क्षेत्र के लोग एक पुराने नगमे...
" ईमली का बूटा बेरी का पेड़ , ईमली खट्टी मीठे बेर ।
इस जंगल में हम दो शेर , चल घर जल्दी हो गई देर ।। "  के बोल बदलकर (जिसे यहाँ अंकित नहीं किया जा सकता..!) उक्त सदाबहार गीत विपरीत शब्दावली में आजकल आठनेर क्षेत्रान्तर्गत छोटे-बडे़ भाजपाईयों और अन्य लोगों के मुंह से अक्सर बोलने और सुनने को मिल रहा है ? वहीं आसपास के देखने तथा सुनने वालों को खिलखिलाकर ठहाके लगाते चौक-चौराहों , पान टपों पर हास-परिहास करते देखा जा रहा है । अब ऐसी स्थिति जिन इन छुटभैय्ये नेताद्वय की जो कि अपने आपको विधायक और सांसद से कम आंकते ही नहीं हैं उनकी यहाँ होती स्थिति दिन प्रतिदिन भाजपा और भाजपाईयों के लिये मुसीबत बनते नज़र आ रही है! देखना होगा कि ऐसे हालात और कब तक बर्दाश्त किये जाते हैं ?

- मैं और अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना पड़ रहा भारी ...
इन नेताद्वय द्वारा जिस तरह की कार्यप्रणाली अख्तियार की जाती रही है वह किसी से दबी छिपी नहीं है ! जिसमें वे अपने आपको हर बडे़ नेताओं के समकक्ष और उनसे बडा़ बताने में कतई किसी तरह की कोई कोताही कदापि नहीं बरतते हैं , सबके सामने केवल अपने आपको ही सर्वगुण सम्पन्न और सबसे बडा़ बताते हैं? अब जैसा कि हम सभी भलिभाँति जानते हैं कि रावण जैसे पराक्रमी को भी अहंकार हुआ था तो नतीजा क्या रहा , जगजाहिर है। ठीक वैसे ही इनका मैं (अहम्) और अपने मुंह से स्वयं के लिये अन्यान्य तरह के कसीदे गढ़ना अब इनपर और पार्टी पर भी भारी पड़ता दृष्टिगोचर हो रहा है?

- नाम बडे़ और दर्शन खोटे वाली कहावत हो रही चरितार्थ ...
इन छुटभैय्ये नेताद्वय पर कुछेक लोगों द्वारा इस तरह भी कटाक्ष किये जा रहे हैं जिनमें से यह जुमला खूब फबता भी है इनपर ... नाचेंगे हम ता-ता थैय्या - ताल तलैय्या , पीएम आवास तो केवल अपना ही बनेगा भैय्या ! अब इस तरह की जनचर्चा और सुगबुगाहट के मायने क्या हैं और वास्तविकता में यह सब सच कितना है? यह भाजपा और भाजपाईयों के लिये शोध का विषय हो सकते हैं ? क्योंकि बात निकलकर जब दूर तलक चली गई है तो इन नेताद्वय के ऊपर नाम बडे़ और दर्शन खोटे वाली कहावत का चरितार्थ होना भी लाजमी है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल, 22 अगस्त 2023