क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत में, संघर्ष पथ पर जो मिला,  यह भी सही वह भी सही ,  वरदान मांगूगा नहीं....
कवि शिवमंगल सिंह सुमन की कविता की यह लाईनें पूर्व सांसद हेमंत खण्डेलवाल के व्यक्त्वि, कृतित्व और कार्यप्रणाली को जगजाहिर करती है। श्री खण्डेलवाल की जिस तरह की सोच है, जिस तरह से विजन है, उसे देखते हुए उनका विरोधी भी इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि वे "सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया" वाली भावना के साथ काम करते हैं । यह बात और हो सकती है कि प्रतिस्पर्धा या ईर्ष्या, द्वेष में उनको लेकर छोटी सोच का प्रदर्शन करें, लेकिन ऐसे लोगों को लेकर भी वे माफ करने के मूड में ही नजर आते हैं । उनका कहना है कि जब सार्वजनिक जीवन में है तो अच्छा मिलता है तो बुरा और बहुत बुरा भी मिलेगा तो उस सबको भी सहन कर आगे बढऩा ही सार्वजनिक जीवन का मूल मंत्र है। खण्डेलवाल की इस राजनैतिक शैली के कारण ही पूरे जिले में उनकी फैन फॉलोईंग है। ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा में ही उनको पसंद करने वाले लोग हो अन्य दलों में भी एक बड़ा तबका उनके राजनैतिक तौर तरीके को व्यक्तिगत रूप से पसंद करता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि खण्डेलवाल मदद करने के मामले में जात, धर्म और पार्टी का भेदभाव नहीं करते, वे खुले मन से सबकी मदद करते हैं ।  जरूरतमंदों की मदद के मामले में उनका कोई मुकाबला ही नहीं है। वे कभी भी मदद करने के बाद एहसान नहीं जताते और यह उम्मीद भी नहीं करते कि जिसकी मदद की हो वो भविष्य में उनके लिए राजनैतिक रूप से उपयोगी होगा । वे मदद करने के बाद भूल जाते है, इसलिए तो शिवमंगल सिंह सुमन की यह कविता वरदान मांगूगा वाली बात उन पर सटीक बैठती है। राजनैतिक और सार्वजनिक जीवन में उनके जैसे व्यक्ति के होने से ही बैतूल की राजनीति में स्वच्छता और लोगों का यकीन बना हुआ है कि राजनीति से विकास होता है, आर्थिक और सामाजिक उन्नति क्षेत्र में होती है। वे चुनावी जीत-हार से ऊपर की राजनीति करने वाले एक कुशल संगठक और बेहतरीन व्यक्ति है, तभी तो लोग कहने से नहीं चूक रहे कि " हेमंत भैया हमारे... हारे... फिर भी बने रहे सबके सहारे..."
- विचार मंथन @ नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 03 सितंबर 2023