बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा।  विरोध प्रदर्शन में पुतला दहन खतरनाक आयटम के तौर पर नजर आता है। जिस तरह से पुतला दहन के लिए धक्कामुक्की होती है और छीनाझपटी होती है, उससे जानलेवा हादसा होने का खतरा बना रहता है। पूर्व में कई ऐसे घटनाक्रम सामने आए है, जिसमें पुतले की छीनाझपटी के चक्कर में झुलसे और प्रकरण दर्ज हुए, लेकिन इसके बाद भी यह ट्रेंड बंद नहीं हो रहा है। सोमवार को दोपहर में कलेक्ट्रेट गेट पर किसान कांग्रेस के आंदोलन के दौरान कुछ ऐसा ही देखने में आ रहा था। कांग्रेस के नेता विभिन्न मुद्दों को लेकर ज्ञापन देने के बाद कलेक्ट्रेट गेट पर बाहर आए और अचानक कहीं से तीन फीट का पुतला उठा लाए। वहां दो-तीन पुलिसकर्मी खड़े थे, इसी दौरान पुतले में आग लगा दी। एक टै्रफिक कर्मी पानी की कैन लेकर दौड़ा, लेकिन धक्का मुक्की शुरू हो गई और छीनाझपटी का खेल होने लगा है। इसी दौरान घास-पूस से बने पुतले में आग भडक़ गई फिर भी छीनाझपटी का प्रयास जारी रहा। यह सब देखकर साफ नजर आ रहा था कि यह खतरनाक है और कोई भी झुलस सकता है।  वैसे वर्तमान में जिस तरह का ट्रेंड है, उसमें पुतला दहन को मीडिया में आउट ऑफ कोर्स माना जाता है और खबर तक नहीं छापते, फिर भी जबरन पुतला दहन के प्रयास होते है। कुछ समय पहले ही पुतला दहन के चक्कर में कांग्रेस पर ही सवाल खड़े हो गए थे और एफआईआर तक दर्ज हो गई। सारनी नपा में प्रदर्शन के दौरान कांग्रेसियों का पुतला दहन कंडोम कांड के नाम से चर्चित हुआ था, खैर जो भी हो इस तरह से पुलिसकर्मियों से छीनाझपटी शासकीय कार्य में बाधा की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद भी इस खतरनाक खेल से बचने का प्रयास नहीं करते। वैसे कायदे से देखा जाए तो किसी भी कानून में नहीं लिखा कि पुतला दहन नहीं किया जा सकता। आजादी के समय से यह भी एक विरोध प्रदर्शन करने का तरीका है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 05 सितंबर 2023