बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । बैतूल शहर और उसके आसपास की कालोनियों ने कालोनाईजर, डेव्हलपर्स, राजस्व के अधिकारी और कर्मचारियों को तो मालामाल कर दिया, लेकिन यह कालोनियां आम लोगों को नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने में नाकाम है? यदि कायदे से देखा जाए तो अधिकांश कालोनियां अवैध की है श्रेणी में आती है?
 इस तरह की कालोनियों के पास न तो टीएनसीपी की विधिवत अनुमति होती है और न ही इनके पास रेरा का जीवित पंजीयन होता है। यह सब न होने के बावजूद भी पटवारी, आरआई और राजस्व के अन्य अधिकारियों की मेहरबानी से कालोनी कटकर बिक जाती है। लोगों को बताई गई सुविधाएं तक नहीं दी जाती है! कालोनाईजर जिस तरह की सुविधाएं ब्रोसर में दर्शाता है, वह सुविधाएं मौके पर उपलब्ध ही नहीं होती है? बाद में जब रहवासी शिकायतें करते है तो कालोनियों को तब प्रबंधन में लिया जाता है, जब कालोनाईजर पूरे प्लॉट बेच चुका होता है। 
ऐसा ही कुछ बडोरा से बैतूलबाजार फोरलेन के मध्य डेव्हलप हो रही मास्टर रेसीडेंसी को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे है। लोगों का कहना है कि यदि इसकी विधिवत जांच हो जाए तो साफ हो जाएगा कि यह कालोनी भी लोगों को सब्जबाग दिखाकर बेची जा रही है। यहां पर भी वह सब मूलभूत सुविधाएं नहीं है, जो बताकर प्लॉट बेचे गए थे। वहीं दावा तो यह भी है कि इनके पास रेरा की अनुमति भी नहीं है। इसके बावजूद धड़ल्ले से प्लॉट काटकर बेच दिए गए है। यदि जांच की जाए तो यह भी सामने आ सकता है कि संभवत टीएनसीपी की अनुमति भी इनके पास नहीं हो सकती है, या फिर यह भी हो सकता है कि जो लेआउट है वही टीएनसीपी से अप्रूव्ड न हो! यह सब तब सामने आ सकता है जब इसकी विधिवत जांच कराई जाए? चूंकि बैतूल एसडीएम कार्यालय में जिस शाखा में कालोनियों का कामकाज देखा जाता है। वहां पर वर्तमान में जो आरआई बैठा हुआ है उसकी भूमिका को लेकर लगातार सवाल उठ रहे है! अक्सर अवैध कालोनाईजरों और उनके दलालों को आराम से उस चेम्बर में बैठा देखा जाता है। बताया गया कि पटवारी प्रतिवेदन के बावजूद भी उक्त आरआई प्रबंधन की कार्रवाई के लिए एसडीएम के सामने फाईल ही प्रस्तुत नहीं करता है? इसलिए अवैध कालोनाईजरों के आंख का तारा बना हुआ है!
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 25 सितंबर 2023