बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कमलनाथ की स्थिति को लेकर कांग्रेसियों में न केवल चर्चा बल्कि तनाव भी है। बैतूल जिले की राजनीति में कांग्रेस के अंदर कमलनाथ का ही रोल काल है और ऐसी स्थिति में बैतूल जिले के कांग्रेसी लगातार इस बात को लेकर चिंतन, मनन करते देखे जा रहे है कि कमलनाथ का अगला कदम क्या होगा?
कमलनाथ भाजपा में जा सकते है इस बात को लेकर लगातार चर्चा है और उस दिन से चर्चा है जिस दिन से यह बात सामने आई कि 21 जनवरी को उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात होने वाली है। यह जानकारी सामने आने के पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से उनकी मुलाकात हुई थी। इन तमाम स्थितियों को जोडक़र देखा जा रहा है और कयास लगाए जा रहे है कि कमलनाथ जी कांग्रेस को गुड बाय बोल सकते है। हालांकि अभी तक इस तरह के कयासों को लेकर कमलनाथ की तरफ से ना तो कोई खंडन आया है और न ही किसी तरह की प्रतिक्रिया नजर आई है। कमलनाथ भाजपा में जाएंगे या नहीं जाएंगे, लेकिन इसको लेकर बैतूल जिले की कांग्रेस में गुरूवार को कांग्रेस के लोकसभा प्रभारी से मिलने आए जिले भर के कांग्रेसी भी आपस में चर्चा करते नजर आए। 
उनकी चर्चा का केन्द्र बिंदु आगामी लोकसभा चुनाव और उसकी तैयारी नहीं बल्कि कमलनाथ भाजपा में जाएंगे या नहीं जाएंगे था। दरअसल कमलनाथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में जाते है तो उनके साथ कौन-कौन भाजपा में जाएंगा? और कौन-कौन नहीं जाएंगा। इसको लेकर भी कांग्रेसी आपस में कानाफुसी करते नजर आते है। अधिकांश लोगों का मानना है कि कमलनाथ शायद ही पाला बदले, लेकिन यदि वे पाला बदलते है तो बैतूल में बहुत से कांग्रेस के पदाधिकारियों के सामने बड़ा धर्म संकट खड़ा हो जाएगा। वर्तमान में राजनीति में कांग्रेस के जितने भी चेहरे सक्रिय है वे कहीं न कहीं किसी न किसी स्तर पर कमलनाथ से उपकृत है और उपकृत होने के लिए वे कमलनाथ के प्रति अपनी निष्ठाओं की कसम भी खाते है। अब ऐसी स्थिति में कमलनाथ के जाएंगे या नहीं जाएंगे यह भी बड़ा सवाल है और यह बड़ा सवाल कांग्रेस के हल्के में चर्चाओं के दौरान बार-बार सामने आता है। 
वैसे बैतूल जिले की कांग्रेस की राजनीति में कुछ लोग ऐसे भी है जो कमलनाथ से खुन्नस रखते है और कमलनाथ का जो कद है उसके सामने उनकी कोई बिसात नहंी है, लेकिन वे कमलनाथ और उनके समर्थकों को लेकर अक्सर अपनी टीस या खुन्नस अलग-अलग तरीके से जाहिर करते रहते है। वे लोग इस बात से खुश है कि कमलनाथ की विदाई हो जाएगी और वे ही इस तरह की चर्चाओं को पूरी ताकत से बाजार में फैला रहे है। यह वे कांंग्रेसी है जो कमलनाथ की सरकार न बने वे सबसे ज्यादा खुश थे और उन्हें लगता है कि बैतूल जिले में जो कांग्रेस की दुग्रति हुई है उसका बड़ा कारण कमलनाथ का चापलुसी पसंद राजनीति करने का तरीका है। इन चर्चाओं के बाद कांग्रेसी एक दूसरे का चेहरा देख रहे है और जानने की कोशिश कर रहे है कि साहब गए थे तो कौन कौन साथ जाएगा। खैर पिक्चर 21 जनवरी के बाद सामने आएगी। 22 जनवरी के बाद ही कांग्रेसी अपने कार्ड खोलेंगे। यहीं कारण है कि लोकसभ प्रभारी आरिफस मसूद के बैतूल आगमन पर सभी बड़े कांग्रेसी मौजूद थे।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 19 जनवरी 2024