बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पुलिसिंग करने की जगह लगातार लापरवाही करने का खामियाजा शहर कोतवाल आशीष सिंह पवार को भुगतना पड़ा। वहीं भलमनसाहत में और टीआई की कमी की वजह से उन्हें बचाने की कोशिश करना एसपी सिद्धार्थ चौधरी को भी भारी पड़ा। इस पूरे मामले में खास बात यह है कि पुराना वीडियो कहां से आया, कैसे आया और इसे नेता प्रतिपक्ष तक किसने पहुंचाया, यह ऐसे सवाल है, जिसका जवाब खोजने पर यह सामने आएगा कि यह एक सुनियोजित षडय़ंत्र का हिस्सा है।
 इस षडय़ंत्र को लेकर पुलिसकर्मी भी दबी जुबान में यह कहते नजर आ रहे है कि शहर कोतवाल इतना भी नहीं समझ पा रहे है कि कुसंगती ही उन्हें भारी पड़ी है। खैर जो भी हो लेकिन जिस तरह से शहर में पुलिसिंग को लेकर सवाल उठ रहे थे और भाजपा विधायक हेमंत खण्डेलवाल पर उनकी पार्टी के पदाधिकारियों के साथ-साथ शहर के जागरूक और अच्छे समझदार नागरिकों का जो दबाव था उस सब में कोतवाल के साथ-साथ एक अच्छे एसपी का भी नुकसान करवा दिया है। 
कायदे से देखा जाए तो आशीष सिंह पवार चुनाव के बाद ही हटा दिए जाते और आदिवासी युवक पिटाई का जो पहला वीडियो आया था, उसी समय एसपी पर आशीष सिंह को निलंबित करने का राजनैतिक दबाव था, लेकिन उन्होंने भविष्य में आने वाली डीएसपी प्रमोशन लिस्ट की वजह से निलंबित नहीं किया और नतीजा यह रहा कि जैसे ही आदिवासी युवक की पिटाई का दूसरा वीडियो कथित षडय़ंत्रकारियों द्वारा सार्वजनिक कर उसे विपक्ष के पूर्व विधायक के माध्यम से मुद्दा बनवाया गया, तब भी एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने भरकस प्रयास किए कि टीआई आशीष सिंह बच जाए और इसी तरह के प्रयासों की वजह से आखिर में एसपी सिद्धार्थ चौधरी का ही बैतूल से तबादला हो गया और अगले दिन टीआई आशीष सिंह की जगह गंज थाने के देवकरण डेहरिया को कोतवाली की कमान दे दी गई और शाम होते तक यह आदेश जारी हो गया कि कोतवाल आशीष सिंह पवार को सस्पेंड कर दिया गया है। जो जानकार है उनका कहना है कि यदि आशीष सिंह पवार के पास थोड़ी सी भी पुलिस जैसी सार्प बुद्धि होगी तो उन्हें अच्छे से समझना चाहिए कि कौन ऐसे षडय़ंत्रकारी है, जो लगातार एसपी को घेरने का प्रयास कर रहे थे। कौन लोग है जिन्होंने इस पुराने वीडियो को अचानक सामने लाकर बवाल खड़ा करवाया? यदि वे इन सवालों के जवाब ढूंढ लेंगे तो उन्हें अच्छे से समझ आ जाएगा कि उन्होंने आस्तीन में सांप पाल रखे थे।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 16 फ़रवरी 2024