बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा । राजनीति में धृतराष्ट्र और दुर्योधन की एंट्री हो चुकी है। सत्ता के गलियारों में कहा जा रहा है कि दुर्योधन तो अति कर रहा है, फिलहाल धृतराष्ट्र की सत्ता को खतरा नहीं है। दुर्योधन की कहानियां गोकुलधाम की गली से निकलकर विजय भवन तक चर्चा का विषय बनी हुई है। अब मीडिया धृतराष्ट्र और दुर्योधन की कथा में पूरी रूचि ले रहा है और इसका बड़ा कारण यह है कि दुर्योधन ने पेज भर-भरकर धृतराष्ट्र का यशोगान करवा लिया गया था, लेकिन उसके भुगतान करने के नाम पर खुली कन्नी काट रहा है और दुर्योधन अपने सलाहकार शकुनी के चंगुल से बाहर आकर देख ही नहीं पा रहा है कि अभी मई में जो महाभारत होगा उसमें कहीं दुर्योधन की कथाएं जन-जन की जुबान पर न आए जाए। धृतराष्ट्र भी अपने दुर्योधन को रोकने को तैयार नहीं है और शकुनी और दुर्योधन सरकारी विभागों से अर्थ संचय करते है, उसमें से भी मीडिया की उधारी चुकाने को तैयार नहीं है। उसके लिए भी जन कल्याण के लिए मिले फंड से हिसाब-किताब मिलाने की कोशिश की जा रही है। कुछ दिनों बाद जब कोई उस कोष का हिसाब बाहर ले आएगा तो बड़े-बड़े मीडियाकर्मियों का नाम गरीब गुरबों की सूची में नजर आएगा। खैर दुर्योधन को लेकर बताया गया कि एक बार उसने पड़ोसी जिले में एक बड़े मीडिया समूह के ऑनलाईन प्लेटफार्म के रिर्पोटर को नशेपत्ती में फोन करके किसी से शादी नहीं करने के लिए धमकाया भी था। शहर में कुछ लोगों के पास उक्त वार्तालाप के ऑडियो भी उपलब्ध है।
@यह अंदर की बात है...

नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 01 मार्च 2024