महिला सशक्तीकरण के इस दौर में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें तरक्की की राह दिखाने के लिए खूब प्रयास हो रहे है। लेकिन वित्तीय साक्षरता के बगैर सशक्त महिला और समृद्ध समाज की कल्पना साकार नहीं हो सकती। वित्तीय साक्षरता आज वक्त की महत्वपूर्ण जरूरत है। इससे ही महिलाये सशक्त होगी जिससे समाज में समृद्धि आयेगी। 
बैतूल आरडी शिक्षण संस्थानो की डायरेक्टर के तौर पर मैं समुदाय की चुनौतियों और ख्वाहिशों को रोज देखती हूँ , खास तौर पर महिलाओं से जुड़ी चुनौतियों को। नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन (एनसीएफई) की रिसर्च परेशान करने वाली तस्वीर दिखाती है। भारत में सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएं ही आर्थिक रूप से समझदार है। ऐसी महिलाओं की कल्पना कीजिए जिन पर घर का खर्च संभालने की जिम्मेदारी हैं, लेकिन उन्हें बजट बनाने, बचत करने या निवेश के बारे में जानकारी नही है। इससे कर्ज का बोझ बढ़ सकता है जो मुश्किल परिस्थितियों से निपटने की उनकी क्षमता को कमजोर कर देता है। 
वित्तीय साक्षरता बदलाव की राह दिखाती है। अपने आर्थिक भविष्य की कमान संभालना, बजट बनाना, बचत करना और अलग-अलग निवेश विकल्पों को समझना महिलाओं को भरोसे के साथ आर्थिक दुनियां कोे संभालने का हुनर देता है। जिससे वो अपने लक्ष्य चाहे उच्च शिक्षा प्राप्त करना हो, बिजनेस शुरू करना हो को हासिल करने में सक्षम होती है। 
जब महिलाये वित्तीय प्रबंधन की बारीकि समझ जाती है तब वे अपने बिजनेस में निवेश करने, स्थानीय कारोबारो को सहयोग देने और आर्थिक तंत्र से सक्रिय भागीदारी के लिए क्षमतावान हो जाती है। जिससे न सिर्फ उनका व्यक्तिगत विकास होता है बल्कि समूचे समुदाय की आर्थिक तरक्की में उनकी सहभागिता बढ़ जाती है। वित्तीय साक्षर महिलाये आने वाली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन सकती है। 
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में महिलाओं में वित्तीय साक्षरता की कमी की कड़वी हकीकत सामने आई थी। कई महिलाओं को अपना जीवन साथी या कमाने वाले सदस्य के खोने के बाद अकेले ही परिवार की जिम्मेदारी संभालना पड़ा। तब महिलाओं को सम्पत्ति, उलझे हुए कर्ज, समझ न आने वाले निवेशो और बीमा पॉलिसियों से जूझना पड़ा। ये दुखद कहानियां वित्तीय शिक्षा की अहमियत को रेखांकित करती है। वित्तीय साक्षरता महिलाओ को सशक्त आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही उन्हें आने वाली मुश्किलों से निपटने और अपना भविष्य सुरक्षित रखने की राह भी दिखाती है। वित्तीय शिक्षा का फायदा सिर्फ महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से नही मिलता इससे समाज भी समृद्ध होता है। वर्ल्ड बैंक की स्टडी बताती है कि महिलाओं में सिर्फ 20 प्रतिशत वित्तीय साक्षरता बढ़ाने से प्रति व्यक्ति जीडीपी में 13 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है। 
सभी को समन्वित प्रयास कर वित्तीय शिक्षा के क्षेत्र में अपने-अपने स्तर से योगदान देना चाहिए। जिससे महिलाओं को वित्तीय साक्षरता के लिए आवश्यक जानकारी और संसाधन आसानी से मिल जाये। हम सभी कल्पना करें एक ऐसे भविष्य की जिसमें बैतूल, मध्यप्रदेश और समूचे भारत की हर महिला अपना सिर ऊंचा करके चलती है और अपने आर्थिक भविष्य के बारे में दृढ़ता से बात करती है... एक ऐसा भविष्य हो जहां महिलाये अपनी आर्थिक स्थिति को संवारने में दर्शक की नही बल्कि सक्रिय भागीदार की भूमिका में रहे। यही वित्तीय साक्षरता की ताकत है जिससे प्रत्येक महिला को समृद्धशाली और शक्तिशाली बनाना हम सब की जिम्मेदारी है। 
(लेखिका आरडी शिक्षण संस्थान ग्रुप बैतूल की डायरेक्टर एवं शिक्षाविद है।)