मतदाता की जागरुकता से लोकतंत्र    मजबूत  नहीं होता है बल्कि केवल राजनैतिक दलों को इस अभियान सी अपने मन मुताबिक  वोटो का प्रतिशत बढ़ाने  का अवसर मिलता है जिसमे जागरूकता के नाम से अप्रत्यक्ष रुप से  चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाने का काम करता है।
नदी  को पॉलिथिन प्लास्टिक से  भर  दो उसकी अविरलता  समाप्त हो जाए, उसका बहना बंद हो जाय कोई दिक्कत नहीं किंतु जागरूक होकर  मतदान करके आ जाओ   कलेक्टर साहब को मंजूर है।क्या इससे लोकतंत्र मजबूत हो जायेगा? घर से  शराब के नशे मे गाड़ी    चलाते हुए जाओ और वोट डाल के आ जाओ प्रशासन को , चुनाव आयोग को मंजूर हैं  इसे मतदाता जागरूकता का नाम   देकर नित्य नई नौटंकी बाजी   करने का एक अवसर प्रदान कर दिया गया है।
भारत मे मतदाता को जागरुक किया जा रहा है किन्तु उसे   विवेक शील नही बनाया जा रहा है क्यों की सबको पता है की जिस दिन यदि भारत का नागरिक मतदाता  विवेक शील हो  गया उसी दिन इस देश मे क्रांति हो जायेगी इसलिए बस उसको जागरुक करो विवेक शील मत बनने दो? ये  बैतूल के हाथी  नाले की फोटो है यदि मतदाता विवेक शील होता तो क्या हाथी   नाले का यह दृश्य दिखाई पड़ता? यदि वोट देने वाला  मतदाता  और मतदाता को जागरूक करने वाला शपथ  दिलवाने वाला प्रशासन विवेक शील होता   तो क्या सड़को के किनारे  वर्षो पुराने  वृक्ष को यूं ही बिना  सोचे समझे   काटा  जाता ? नहीं।यदि ये विवेक शील होते तो यह अपराध  संभव नही था किंतु मतदान के प्रति जागरूक होना एवम रहना और धरती नदी प्रकृति के प्रति बिना सोचे समझे  अविवेक पूर्ण व्यवहार  करने को क्या उचित ठहराया जा सकता है? केवल  कलेक्टर के आगे पीछे घूमने को ही यदि  मतदाता जागरूकता मान लिया गया है तो फिर इस विषय पर कुछ नहीं कहा जा सकता है? क्या हाथ मे मेंहदी लगाने से  धरती नदी साफ़ हो जायेगी? क्या  साइकिल चलाने से लोकतंत्र मजबूत हों जायेगा? जे पी ने 1975 मे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आंदोलन खड़ा किया  लाठिया खाई, सीने पर गोलियां झेली ,19 _19 महीनों तक  जेल के सलखो  के पीछे रहकर आंदोलन खड़ा किया  तब कहीं जाकर लोकतंत्र मजबूत  हुआ? केवल कलेक्टर के साथ  साइकिल  दौड़ने से , हाथो मे मेंहदी लगाने से और मतदान का प्रतिशत बढ़ाने से केवल राजनैतिक दलों  को ही मजबूत करने का काम  किया जाता है और जिसको नाम दे दिया गया है मतदाता जागरूकता   लोकतंत्र को यदि मजबूत किए जाने का काम किया जाता तो मतदाता को विवेक शील  बनाने पर  काम होना चाहिए था। मतदाता जागरूकता अभियान केवल और केवल राजनैतिक दलों को लाभ पहुंचाने का अभियान के अलावा और कुछ नही हैं क्योंकि राजनैतिक दल भी कह रहे है की अपने कार्यक्रता को कह रहे है लक्ष्य दिया हैं हर  मतदान केंद्र पर 370 वोटो का इज़ाफा हो और चुनाव आयोग भी कह रहा है की मतदान का प्रतिशत 85 प्रतिशत हो तो क्या यह राजनैतिक दल और चुनाव आयोग की साफ साफ मिली भगत नही है।

- हेमंत चन्द्र दुबे बबलू