बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल शहर और उसके आसपास ग्रामीण क्षेत्र में जो कालोनाईजिंग हो रही है उसमें नियमों की खुली धज्जियां उड़ रही है! एक तरह से अवैध कालोनाईजिंग हो रही है? कालोनाईजर केवल टीएनसीपी के आधार पर प्लॉट बेच रहे है? जबकि कायदे से बिना रेरा के कालोनी में प्लॉट या मकान नहीं बेचे जा सकते! यदि बेचे जा रहे है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है? हालत यह है कि राजस्व के जिम्मेदार अधिकारी भी रेरा को लेकर खुली अनदेखी कर रहे है और इस स्तर पर अनदेखी कर रहे है कि जिन कालोनियों को प्रबंधन मुक्त किया जा रहा है, उन्हें भी बिना रेरा के ही प्रबंधन मुक्त कर दिया जा रहा है। 2017 के बाद से जो भी कालोनी है उसमें रेरा अनिवार्य है। रेरा होने के का मतलब है कि उक्त कालोनी में प्लॉट या भूखंड खरीदने वाले व्यक्ति के अधिकारों और उसको मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की कानूनी तरीके से गारंटी हो जाती है और यदि उसके अधिकारों का कहीं हनन हो रहा है या उसको जो मूलभूत सुविधाएं मिलना चाहिए और वह नहीं मिल रही है तो वह रेरा में शिकायत कर इन सुविधाओं के लिए कार्रवाई करवा सकता है। जैसा मुलताई की ड्रीमलैंड कालोनी के मामले में हुआ, यहां पर रेरा ने वहां के रहवासियों की शिकायत पर बहुत कम समय में सटीक एक्शन लिया है। वहीं दूसरी ओर सबसे बड़ी बात यह है कि कालोनाईजर या डेव्हलपर्स किसी भी स्तर पर कोई धोखाधड़ी नहीं कर सकता। उसे रेरा का पंजीयन कराने के पहले तमाम तरह की विधिक अनुमति लेना होगा। जैसे जमीन अर्जन की वैद्यानिक स्थिति, ड्रायवर्सन की स्थिति, शहरी क्षेत्र होने पर कलेक्टर और ग्रामीण क्षेत्र होने पर एसडीएम की विकास की अनुमति, टीएनसीपी की अनुमति अनिवार्य है। जो वास्तविक स्थिति है उसमें यह स्पष्ट देखने में आ रहा है कि बैतूल में बिना रेरा के कालोनाईजिंग हो रही है एक तरह से अवैध कालोनाईजिंग है। उनका कहना है कि इसके वर्तमान में ही कई ऐसे उदाहरण है, जिसमें कालोनाईजर बिना रेरा के ही प्रचार-प्रसार के साथ भूखंड बेच रहा है, लेकिन राजस्व का मैदानी अमला जैसे आरआई, पटवारी उसकी रिपोर्ट एसडीएम तहसीलदार को नहीं कर रहे है? जबकि कायदे से बिना रेरा के यदि कोई भी कालोनाईजर या डेव्हलपर्स प्लॉट या मकान बेच रहा है तो उसकी कायदे से रजिस्ट्री नहीं होना चाहिए, लेकिन बैतूल में यह धड़ल्ले से हो रहा है। वरिष्ठ पत्रकार आनंद सोनी का कहना है कि कलेक्टर अवैध कालोनियों को लेकर राजस्व के अधिकारियों को दिशा निर्देश तो खूब देते है, लेकिन वह यह नहीं देख रहे कि उनका राजस्व का अमला ही रेरा जैसी अनिवार्य पंजीयन की खुली अनदेखी करता है और इसी वजह से कालोनियों में प्लॉट खरीदने या मकान खरीदने वाले लोगों को जो मूलभूत सुविधाएं मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाती है। उनका कहना है कि बैतूल में तो बिना टीएनएसपी के भी कालोनाईजिंग हो रही है, लेकिन कोई रोकना वाला नहीं है। 
- एक्सपर्ट व्यू...
- यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी कालोनी में प्लॉट या डुप्लेक्स आदि खरीद रहा है, या किसी मल्टी स्टोरी में फ्लैट खरीद रहा है तो उसे सबसे पहले रेरा पंजीयन देखना चाहिए, क्योंकि रेरा पंजीयन से ही यह सुनिश्चित होता है कि उपभोक्ता के अधिकारियों का हनन नहीं होगा और उसे सभी सुविधाएं मिलेगी और रेरा में सामान्य व्यक्ति भी शिकायत कर सकता है।
- निकुंज गर्ग, अधिवक्ता, बैतूल।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 08 अप्रैल 2024