- 3 अप्रैल को ड्रीमलैंड में जांच के बाद समिति ने एनजीटी को दिए थे यह सुझाव


बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। मुलताई की ड्रीमलैंड सिटी के मामले में एनजीटी ने 8 अप्रैल को एक आर्डर पास किया है। जिसमें कालोनाईजर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने और इस मामले में अनदेखी करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करने के लिए कहा गया है और इसके लिए उक्त अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। यह सब प्रक्रिया पूरी करने के लिए एनजीटी ने एक टीम गठित की है। इस टीम में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अधिकारी मध्यप्रदेश स्टेट इनवायरमेंट अथारिटी सिया का एक अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अधिकारी और नगरपालिका मुलताई का एक अधिकारी शामिल रहेगा। एनजीटी के जेएम शेओ कुमार सिंग और ईएम डॉ अफरोज अहमद ने यह आर्ड जारी किया है। इसमें यह समिति कालोनी निर्माता के विरूद्ध पर्यावरण को ही क्षति की गणना करेगी और उस आधार पर कालोनाईजर पर कार्रवाई होगी।
मामले में ड्रीमलैंड कालोनी के निवासी विजय सावरकर ने एनजीटी में याचिका दायर की थी, जिसमें अधिवक्ता हर्ष तिवारी और निकुंज गर्ग ने विजय सावरकर की तरफ से पक्ष रखा था। मामले में अधिवक्ता हर्ष तिवारी और निकुंज गर्ग ने बताया कि एनजीटी द्वारा 8 अप्रैल को जो निर्देश जारी किए है, जिसमें उनके आदेश दिनांक 8 फरवरी के अनुसार बनी संयुक्त टीम द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर संज्ञान लिया गया है। जिसमें पाया गया कि कालोनी निर्माता के द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 वॉटर एक्ट 1974 और एयर एक्ट 1981 एवं अधिसूचना दिनांक 14 सितम्बर 2006 की अवमानना करके परियोजना का विकास कार्य किया जा रहा है। अधिवक्ता निकुंज गर्ग और हर्ष तिवारी के मुताबिक 3 अप्रैल को मुलताई में ड्रीमलैंड कालोनी में विजिट करने वाली टीम जिसमें सिया के अनिल शर्मा, राज्य प्रदूषण बोर्ड के रिजनल अधिकारी केएन कटारे तथा कलेक्टर के प्रतिनिधि एवं सीएमओ नपा आरके इवनाती शामिल थे, उस टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही 8 अप्रैल को यह नया आर्डर एनजीटी ने जारी किया है। उन्होंने बताया कि इस टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया था कि जिस खसरे पर टीएनसीपी की अनुमति दी गई है एवं स्थल समान नहीं है। नाली भी टूटी हुई है और उसका पानी भी खुले में बह रहा है। पीने के पानी की भी आपूर्ति पूर्ण रूप से नहीं हो रही है। निर्माता द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बिना सम्मति के ही कार्य किया जा रहा है। कालोनी के निर्माण में ईआईए नोटिफिकेशन 2006 के बिना पर्यावरण अनुमति के ही किया जा रहा है।

- इनका कहना...


बैतूल जिले में पहली बार कालोनाईजिंग में एनजीटी ने एक्शन लिया है। यह एक्शन बताता है कि अन्य कालोनाईजरों को पर्यावरण नियमों की अनदेखी कतई नहीं करना चाहिए। गौरतलब रहे कि ड्रीमलैंड मामले में रेरा ने भी 10 लाख का जुर्माना किया है।

- निकुंज गर्ग, पैरवीकर्ता, बैतूल।


नवल वर्मा हैडलाइन बैतूल 15 अप्रैल 2024