- अष्टमी को रात्रि 8 बजे से होगा सुहागन स्त्रियों द्वारा माता की गोद भराई कार्यक्रम, - रात्रि 9 बजे से होगा दुर्गा सप्तशती हवन 

 

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । गंज क्षेत्र में स्थित बीजासनी माता मंदिर - आराधना, भक्ति, शक्ति, समर्पण, धर्म, सनातन मूल्यों, सामाजिक सौहार्द्र एवं समरसता की जीती जागती मिसाल बन चुका है।  एक छोटी सी मढ़िया से मां के महल तक का मंदिर का इतिहास, माता के सैकड़ों अद्भुत चमत्कारों से भरा पड़ा है, यही कारण है कि अखंड ज्योतों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती ही जा रही है। मंदिर में अष्टमी के दिन विशेष पूजा अर्चना होती है तथा सायंकालीन आरती के पश्चात 8 बजे से सुहागन स्त्रियों द्वारा माता की गोद भराई का कार्यक्रम होता है, जिसमें सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए माता को सुहाग का श्रृंगार, फल, श्रीफल, चुनरी, अक्षत आदि भेंट करती हैं जिसे माता को अर्पित किया जाता है तथा माता के चरणों को स्पर्श करवाकर उन्हें सुहाग का श्रृंगार आशीर्वाद स्वरूप वापस दिया जाता है एवं परिवार में सुख शांति तथा बरकत के लिए श्रीफल भेंट किया जाता है। 

विदित है भारत वर्ष में यह सनातनी परंपरा पुरातन समय से चली आ रही है तथा बीजासनी मंदिर में विगत लगभग 45 वर्षों से भी अधिक समय से यह प्रथा अनवरत चली आ रही है। अष्टमी के दिन रात्रि 9 बजे से दुर्गा सप्तशती का हवन होगा जिसमें लगभग 20 से 22 लोग बैठते हैं तथा इसके अतिरिक्त वे श्रद्धालु जो हवन पर नहीं बैठ पाते हैं वे 2 नारियल की मनोकामना भेंट हवन में अर्पण करते हैं तथा दुर्गा सप्तशती के हवन के दौरान अपनी उपस्थिति देते हैं जिससे उनकी प्रार्थना भी मां के चरणों में स्वीकार होती है व उनकी भी मनोकामना पूरी होती है। मंदिर समिति ने सभी श्रद्धालुओं से अष्टमी के कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है।

नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 15 अप्रैल 2024