बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार सरपंच महेश रावत के फर्जीवाड़े का एक और नायाब नमूना सामने आया है। इसमें उन्होंने उस फुलकांति के नाम आवंटित आवासीय पट्टा बेच डाला, जो कि शासन की शर्तो के अधीन न तो किसी को अंतरित किया जा सकता था और न ही बेचा जा सकता है। गौरतलब रहे कि फुलकांति पति मनोहर रिश्ते में वास्तविक तौर पर उनकी बुआ है, लेकिन उन्होंने अज्ञात कारणों से बैतूल नगरपालिका में उनकी पारिवारिक समग्र आईडी में फुलकांति को अपनी मां बताया था और फुलकांति की जगह अपने पिता शंकरदयाल का नाम दर्ज करा दिया था? मतलब एक भाई को उसकी बहन का ही पति बना दिया! खैर रोचक मामला यह है कि फुलकांति को वर्ष 1995 में जो पट्टे का आवंटन किया गया था, उसकी शर्तो का पालन न होने के कारण वह पट्टा बाद में शासन द्वारा रद्द कर दिया गया और जमीन वापस शासन के खाते में चली गई। प्लॉट नंबर 72, सर्वे क्रमांक 220, ग्राम गोराखार रकबा 0.008 हेक्टेयर जमीन का पट्टा आवंटन तीन शर्तो के तहत किया गया था। जिसमें से पहली शर्त यह थी कि यह आवंटन की तारीख से 5 वर्ष की कालावधि के भीतर ऐसी भूमि पर गृह निर्माण करेगा, दूसरा यह कि आवंटन की तारीख से 10 वर्ष की कालावधि के भीतर भूमि का जो कि उसे आवंटित की गई हो या उसमें के हित अंतरण नहीं करेगा। तीसरी शर्त यह थी कि उपयुक्त शर्तो में से किसी भी शर्त के भंग होने की दशा में यह भूमि शर्त पूर्ण नहीं होने की तारीख से राज्य सरकार के हक में निहित हो जाएगी। यह जमीन 1995 के बाद शर्तो का पालन न होने पर शासन को वापस चली गई। जबकि इसके बाद पुन: वर्ष 2010-11 में फुलकांति पिता दीनदयाल निवासी गोराखार को पटवारी हल्का नं 71, आबादी खसरा 185 का पुन: तहसीलदार द्वारा आवंटन किया गया? 
जिसकी चतुर्थ सीमा पूर्व में रोड, पश्चिम में दशरथ का मकान, उत्तर में रास्ता और दक्षिण में भी रास्ता दर्शाया गया है। इसका रकबा  81 वर्गमीटर है। सबसे बड़ी बात यह है कि किसी हितग्राही को एक बार पट्टा आवंटन हुआ और उसके द्वारा शर्तो की अवहेलना की गई और पट्टा निरस्त हुआ, फिर लगभग पांच वर्ष बाद पुन: आवंटन किया जाना ही सवालों को जन्म देता है? खास बात है कि उस हितग्राही द्वारा पट्टा मिलने बावजूद 10 वर्ष की अवधि में भी आवास निर्माण नहीं किया गया, फिर उसे दूसरी बार पट्टा आवंटित किया गया, फिर उसके द्वारा वहां पर आवास निर्माण नहीं किया गया। जबकि आवासीय मद में ही पट्टा आवंटित किया गया है?

- आरआई और पटवारी के जांच पंचनामा में सामने आया कि फुलकांति जौजे मनोहर को आवंटित आवासीय पट्टा महेश रावत ने बेच डाला...
मंगलवार को होने वाली कलेक्टर की जनसुनवाई में हुई शिकायत के आधार पर कोलगांव के आर आई और पटवारी सहित ग्राम कोटवार द्वारा 07 फरवरी 2023 को मौजा गोराखार में उपस्थित होकर मौका मुआयना कर पंचनामा बनाया गया। इस पंचनामे में उन्होंने बताया कि खसरा क्रमांक 220/2, रकबा 2.000 हेक्टेयर मद आबादी में जमीन दर्ज है। जिसमें 1200 वर्गफीट में महेश रावत पिता शंकरदयाल निवासी गोराखार का पूर्व में प्लींथ बना हुआ प्लॉट था, जिसे महेश रावत ने नत्थू पिता भंगीलाल सलामे को वर्ष 2019 में बेच दिया गया? वर्तमान में बेचे गए प्लॉट में पक्का मकान बना हुआ, हालांकि बेची गई जमीन की रजिस्ट्री नहीं की गई! पंचनामे में यह भी बताया गया कि सन् 1995 में उक्त जमीन या प्लॉट फुलकांति जौजे मनोहर निवासी गोराखार को आवासीय पट्टा दिया गया था। जिसे महेश रावत द्वारा नत्थू को बेच दिया गया है और फुलकांति महेश की सगी बुआ है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 03 मई 2024