बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । ग्राम पंचायत गोराखार सरपंच महेश रावत के नए-नए कारनामे सामने आ रहे है और हर कारनामा सरकारी जांच प्रक्रिया में सिद्ध पाया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी उसके खिलाफ किसी तरह की कोई विधि अनुरूप कार्रवाई नहीं हो रही है! महेश रावत ने गोराखार में अपना निवास दिखाने के लिए जिस मकान या भवन का पता दर्शाया है, वह जमीन एक गरीब आदिवासी की है जिस पर बेजा तरीके से हड़प कर मकान बना लिया गया है? और उस गरीब आदिवासी की जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मकान या भवन के पते पर ही गोराखार में महेश रावत के परिवार की समग्र आईडी भी बनी है वहीं इसी पते पर उसका राशन कार्ड भी बना है? पंचायत चुनाव में भी उसने अपना यही पता दर्शाया है। जबकि जिस जमीन पर यह मकान या भवन बना है, वह सरकारी राजस्व रिकार्ड में 1916-17 से वर्तमान में भाई गरीब आदिवासियों के नाम से दर्ज है! यह बात जनसुनवाई में ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत में राजस्व विभाग की जांच में ही सिद्ध हो चुकी है? 03 जनवरी 2023 को ग्रामीणों द्वारा जनसुनवाई में कलेक्टर को आवेदन दिया गया, जिसमें बताया गया कि गोराखार सरपंच द्वारा पंचायत की आवासीय भूमि को नियम विरूद्ध तरीके से बेचा गया, सरपंच द्वारा 02 समग्र आईडी और दो राशन कार्ड बनवाए गए। जिसमें अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम, उम्र आदि में मनमाने तरीके से फेरबदल करवाए गए है? वहीं चुनाव लडऩे के लिए गांव का निवासी होना अनिवार्य रहता है, इसलिए जिस मकान के एड्रेस का उपयोग किया गया, उसमें भी सरपंच ने नियम और कायदे को ताक पर रखकर प्रक्रिया पूरी की है? 
ग्रामीणों की शिकायत के बाद राजस्व अमले ने आरआई कोलगांव और हल्का पटवारी द्वारा ग्राम कोटवार के साथ मौका जांच की गई और इस मौका जांच में यह पाया गया कि खसरा नं 280, रकबा 0.073 हेक्टेयर भूमि जिस पर बने मकान का एड्रेस के तौर पर सरपंच ने उपयोग किया है। उस जमीन के मामले में राजस्व रिकार्ड में झनकी बेवा धुर्रु जाति गोंड, अशोक पिता धुर्रु जाति गोंड, समलती पुत्री धुर्रु जाति गोंड, पंचम पुत्र केजा जाति गोंड, अन्छाराम पुत्र केजा जाति गोंड निवासी गोराखार के नाम से दर्ज है। जो मौका पंचनामा राजस्व अमले द्वारा बनाया गया, उसमें बताया गया कि संपूर्ण भूमि खसरा नं 280 में देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का कब्जा है? अब स्थिति में यह गौर करने लायक बात है कि जो देवेन्द्र पिता शंकरदयाल है वह महेश रावत का ही भाई है। 
पूरे मामले में एक और खास बात यह है कि ग्रामीणों द्वारा शिकायत सरपंच महेश रावत के द्वारा जमीन हड़पकर मकान भवन बनाने और उस पते के आधार पर चुनाव लडऩे, समग्र आईडी, राशन कार्ड बनवाने की की गई थी, लेकिन राजस्व विभाग की जांच में राजस्व रिकार्ड के अनुसार मौका जांच में अवैध कब्जा होना तो पाया गया, लेकिन कब्जाधारी के रूप में देवेन्द्र पिता शंकरदयाल को बताया गया, जो कि महेश रावत का भाई है। नियमों के जानकारों का कहना है कि सरपंच को बचाने के लिए यह सब कृत्य किया गया है। यदि आदिवासी की जमीन पर जमीन पर अवैध कब्जा कर अतिक्रमण करने और उस पर पक्का निर्माण करना राजस्व विभाग अपनी रिपोर्ट में लिख देता तो महेश रावत की सरपंची पर ही खतरा पैदा हो जाता और उनकी सरपंची भी जा सकती थी। खैर पूरे मामले में जांचकर्ता राजस्व अमले ने गरीब आदिवासियों की जमीन पर बेजा कब्जा किया जाना तो मान लिया, लेकिन कहीं न कहीं महेश रावत को बचाने के लिए कब्जाधारी के रूप में उनके भाई देवेन्द्र को दर्शा दिया है। यह सब कायदे से एफआईआर की श्रेणी में आता है।

- मामले में उठ रहे यह सवाल ...           
1 - महेश रावत द्वारा जो समग्र आईडी और राशन कार्ड के लिए जो एड्रेस गोराखार में दर्शाया गया क्या उसकी जांच चुनाव या शिकायत होने के बाद नियम अनुसार करवाई गई?
2 - महेश रावत द्वारा चुनाव के नामांकन के लिए ग्रामवासी होने के प्रमाण के लिए जिस पते का उपयोग किया गया, क्या उसके लिए विधिवत दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे?
3 - आदिवासियों की जिस जमीन पर महेश रावत के जिस भाई देवेन्द्र का कब्जा बताया जा रहा है वह जांच में सिद्ध होने के बाद भी आज तक तहसीलदार, एसडीएम आदि ने क्या कार्रवाई की?
4 - जनसुनवाई में दिए गए आवेदन केआधार पर हुई जांच में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा सिद्ध होने के बाद उस कब्जे को हटाए जाने के लिए कलेक्टर ने एसडीएम और तहसीलदार बैतूल को उक्त कब्जा हटाए जाने के लिए क्या दिशा निर्देश और कब-कब दिए है?
5 - गरीब आदिवासी की जमीन पर कब्जे के मामले में राजस्व विभाग ने पीडि़त पक्ष को आरोपियों के खिलाफ जबरिया जमीन पर कब्जा करने को लेकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए क्या प्रतिवेदित किया या मौका जांच के अनुसार स्वयं थाने में कोई प्रतिवेदन दिया या नहीं?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 05 मई 2024