बैतूल (हेडलाइन)/नवल वर्मा। रामायण की कथा अलौकिक है मात्र जो दिखता है वही सत्य नहीं है रामायण के अंदर प्रवेश करने पर रहस्यों का प्राकट्य होता है । यह सारा संसार भगवान का बनाया हुआ है इसी लिए इसमें मनुष्य को कैसा रहना चाहिए यह संस्कार भी भगवान ही देते हैं इसीलिए स्वयं अपने परिजनों के साथ संसार में आकर हमारा चारित्रिक मार्गदर्शन भी करते हैं। इसी संदर्भ में राम रावण की चर्चा करते हुए आज जिला पंचायत सदस्य राजा ठाकुर जी आवास टैगोर वार्ड में राम कथा के अष्टम दिवस मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने राम रावण के चरित्र का एक अलग ही निरूपण किया। आपने कहा कि रावण और राम दोनों एक ही जगह से आए हैं जैसे आजकल रामलीला मंडलियां आती हैं लेकिन उनके सारे पात्र एक ही गांव के होते हैं और आपस में संबधी भी होते हैं किन्तु यहां आकर शत्रु मित्र आदि आदि भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं। ठीक उसी प्रकार रावण राम दोनों का आगमन एक ही वैकुंठ लोक से हुआ है। रावण कुंभकर्ण ये दोनों भाई पूर्व काल में वैकुंठ में भगवान के परम प्रिय पहरेदार थे । एक बार सनकादि ऋषियों ने इन्हें राक्षस होने का शाप दे दिया और ये हिरण्यकशिपु तथा हिरण्याक्ष बन कर राक्षस योनि में पैदा हुए । भगवान ने वाराह और नृसिंह अवतार लेकर उन दोनों का उद्धार किया। दूसरी बार दोनों रावण कुंभकर्ण बने अबकी बार भगवान ने रामावतार लेकर इनका उद्धार किया। जब भगवान राम के हाथों खरदूषण का वध हुआ यह सुनकर रावण को विश्वास हो गया कि परमात्मा का अवतार हो चुका है बस मेरे मोक्ष का समय नजदीक आ गया। इसी उद्देश्य से रावण ने सीता जी का हरण किया।रावण को सीता वापस करने के लिए 22 लोगों ने समझाया किंतु उसने किसी की बात नहीं माना। अंत में मंदोदरी ने समझाया कि राम से बैर मत करो सीता के कारण लंका का सर्वनाश हो जाएगा। सूरदास जी ने रामचरितावली में कहा कि रावण मंदोदरी को समझाते हुए कहता है कि प्रिये मैं सीता को नहीं लौटाऊंगा। यह सीता मुझे भवसागर पार होने के लिए नौका के रूप में मिली है अपने हाथों इस नौका का विनाश नहीं करूंगा। अंततः सारे वंश को भगवान के हाथों मरवा कर स्वयं मुक्त हो गया। 
इस कथा से समाज को यह शिक्षा मिलती है कि राम जैसा आचरण करें और रावण के चरित्र को कभी न स्वीकार करें, पर नारी को माता के समान तथा पराई संपत्ति को मिट्टी के ढेले के समान समझें। आज कथा में वृंदावन से सुप्रसिद्ध भागवत एवं रामायण के कथावाचक श्याम नारायणाचार्य जी महाराज का पदार्पण हुआ, आपके द्वारा किलेदार परिवार व श्रोताओं को आशीर्वाद सुलभ हुआ। राजा ठाकुर एवं अरुण सिंह किलेदार ने महराज श्री का स्वागत किया। राजेन्द्र सिंह किलेदार, प्रदीप सिंह किलेदार, राज सिंह परिहार व ऋषीराज सिंह परिहार ने समस्त श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। कल 7/5/24 को शायं काल 7 बजे इस भव्य आयोजन का विश्राम हो जाएगा।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 06 मई 2024