बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार सरपंच महेश रावत का निवास वोटर आईडी में जिस खसरा नंबर 280 में स्थित मकान नंबर 24 में दर्शाया गया है। उस जमीन पर अतिक्रमण को लेकर जनसुनवाई में हुई दो अलग-अलग शिकायत में कोलगांव राजस्व निरीक्षक और गोराखार पटवारी ने जो प्रतिवेदन दिया था, उसके अनुसार उक्त जमीन पर महेश रावत के भाई देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का कब्जा होना बताया गया था? राजस्व रिकार्ड में इस जमीन पर जिस अंच्छाराम पिता केजा का नाम दर्ज है, उसके द्वारा इस जमीन का सीमांकन कराए जाने के लिए आवेदन दिया गया तो कोलगांव आरआई और गोराखार पटवारी ने खसरा नंबर 280 के सीमांकन में देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का अतिक्रमण होना अपनी रिपोर्ट में दर्शाया ही नहीं! देवेन्द्र पिता शंकरदयाल की जगह किसी अन्य मन्ना पिता दमडू और अंच्छाराम पिता दशन का कब्जा होना बताया? जबकि खसरा नंबर 279 में मन्ना पिता दमडू और खसरा नंबर 278 में अंछाराम पिता दशन का कब्जा है। इस तरह से राजस्व विभाग के आरआई और पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में खुली धोखाधड़ी की है, जिसमें कायदे से दोनों कर्मचारियों को न केवल बर्खाश्त किया जाना, बल्कि उनके खिलाफ कायदे से एफआईआर भी दर्ज होना चाहिए?
 जिस तरह से सीमांकन रिपोर्ट में खसरा नंबर 280 में देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का अतिक्रमण लापता कर दिया गया! वह बताता है कि सरपंच महेश रावत और उसके भाई देवेन्द्र के अतिक्रमण को खुलेआम छुपाने का प्रयास किया गया है? 10 जनवरी 2024 को आरआई और पटवारी ने सीमांकन के लिए स्थल पंचनामा बनाया और तहसीलदार बैतूल को जो सीमांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की उसमें उन्होंने बताया कि आवेदक अंंछाराम पिता केजा निवासी गोराखार की भूमि खसरा नंबर 280 का सीमांकन करने मौके पर उपस्थित हुए। सीमांकन पूर्व विधिवत आवेदक एवं पड़ोसी कृषकों को सूचना पत्र तामिल कराया गया। इसके बाद नियत दिनांक 10 जनवरी 2024 को आवेदक एवं पड़ोसी कृषकों की उपस्थिति में खसरा नंबर 266, 268 तथा 265/5 की बंदोबस्ती मेढ़ का नक्शा एवं मौका जरीब में मापकर मिलान किया गया। मिलान होने पर खसरा नंबर 280, रकबा 0.073 हेक्टेयर का सीमांकन उक्त बंदोबस्ती मेढ़ को आधार मानकर जरीब से किया गया। आवेदक को खेत की चतुर्थ सीमा बतलाई गई एवं खुंटिया लगाई गई। आवेदक की भूमि 0.07 हेक्टेयर में से 0.068 हेक्टेयर पर मन्ना पिता दमडू का एवं 0.005 हेक्टेयर भूमि पर पड़ोसी कृषक अंछाराम पिता दशन का बेजा कब्जा होना पाया गया! मन्ना पिता दमडू द्वारा 1188 वर्गफीट पर ईंट का अर्ध पक्का मकान बना हुआ है। इस जांच प्रतिवेदन में देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है, जबकि खसरा नंबर 280 में देवेन्द्र का पक्का मकान, चक्की शेड आदि का निर्माण है। बिना देवेन्द्र या कथित तौर पर महेश रावत का कब्जा न दिखाना हैरान करता है?

- आरआई, पटवारी का फर्जीवाड़ा उजागर करते है यह सवाल...
1 - आरआई और पटवारी द्वारा खसरा नंबर 280 में जनसुनवाई आवेदन क्रमांक 1234 को लेकर 4 अक्टूबर 2021 को दिए जांच प्रतिवेदन में देवेन्द्र का जो पक्का अतिक्रमण मकान , चक्की शेड आदि का कब्जा होना बताया था वह अतिक्रमण सीमांकन में क्यों नहीं दिखाया गया?
2 - जनसुनवाई क्रमांक 5830, 03 जनवरी 2023 को दिए गए आवेदन के जांच प्रतिवेदन में भी कोलगांव आरआई और गोराखार पटवारी ने भी देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का पक्का अतिक्रमण होना बताया था? फिर यह अतिक्रमण सीमांकन रिपोर्ट में क्यों गायब है?
3 - खसरा नंबर 280 की सीमांकन रिपोर्ट में खसरा नंबर 279 और 278 का अतिक्रमण क्यों दर्शाया गया? इसके पीछे आरआई और पटवारी क्या उद्देश्य है? क्या कारण है कि कथित तौर पर महेश रावत या देवेन्द्र का अतिक्रमण नहीं दिखाया?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 07 मई 2024