बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार में गरीब आदिवासी केजा के परिवार के साथ उनकी पैतृक जमीन को लेकर जिस तरह का छल और धोखा दस्तावेजों में हुआ है! यदि उसकी विस्तृत जांच कराई जाए तो राजस्व विभाग के आरआई, पटवारी से लेकर तहसीलदार आदि पर भी सीधे एफआईआर दर्ज होगी?  क्यूंकि इस जमीन पर वर्तमान सरपंच महेश रावत के भाई देवेन्द्र पिता शंकरदयाल का बेजा कब्जा आरआई, पटवारी की जांच में अतिक्रमण सिद्ध पाया गया है और गांव की वोटर लिस्ट के अनुसार जिस गृह नंबर 24 में सरपंच महेश रावत अपना निवास बता रहे है, वह भी इसी खसरा नंबर 280, रकबा 0.073 हेक्टेयर जमीन पर बना हुआ है?

अब पूरे मामले में यदि दस्तावेजों के आधार पर ही बारीकी से विवेचना की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है। आश्चर्यजनक बात है कि राजस्व के कर्मचारी और अधिकारियों ने एक गरीब आदिवासी परिवार के साथ खुली धोखाधड़ी की और जनसुनवाई में शिकायतें करने के बाद भी जांच में आरोप सिद्ध पाए जाने के बाद भी न तो अतिक्रमण हटवाया गया और न ही बही से रकबा गायब करने जैसे संगीन मामले की जांच करवाई गई? इससे साफ सिद्ध होता है कि बैतूल तहसील में वर्षो से गोलमाल का जो सिस्टम चला आ रहा है, उसमें प्रभावशाली लोगों को लीगल कार्रवाई से बचाने और उनके फायदे के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा फर्जीवाड़ा किया जाता है? केजा परिवार के पुत्र पंचम और अंच्छाराम के नाम से दर्ज खसरा नंबर 280 की खसरा खतौनी की नकल निकालने पर कॉलम नंबर 12 में यह दर्ज है कि मकान 1, सं.क्र. 16 आदेश दिनांक 6 अप्रैल 2017 दर्ज है।
 जब इसका विवरण फौतीनामांतरण पंजी में देखा गया तो इसमें 29 अप्रैल 2017 को फौतीनामांतरण देखा गया तो विरासत हक में मूल खाता क्रमांक 120, वर्ष 30 जुलाई 2017 के खातेदार धुर्रू पिता केजा की मृत्यु होने से उसके वैध वारिसों का नाम दर्ज हेतु प्रविष्टि तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत की गई। जिसमें झनकी बेवा धुर्रू , अशोक पिता धुर्रू , समलती पिता धुर्रू एवं पंचम पिता केजा एवं अंच्छाराम केजा का नाम दर्ज किया गया। गौरतलब रहे कि धुर्रू, पंचम और अंच्छाराम तीनों मृतक केजा के ही पुत्र है। वहीं इसके आगे राजस्व विभाग के फर्जीवाड़े की कहानी सामने आती है। जिसमें पंचम, धुर्रू और अंच्छाराम की 2004 में जो अलग-अलग बही बनाई गई, जिसमें तीनों की फोटो चस्पा है। इन तीनों बही में खसरा नंबर 280 लापता है, जबकि 1979-80 की जो इनकी बही है, उसमें कम्मो विधवा केजा और पंचम पिता केजा तथा धुर्रू पिता केजा का भूमि स्वामी के नाम पर दर्ज है और इसमें खसरा नंबर 280 का उल्लेख है। यह सब दर्शाता है कि किस तरह से राजस्व विभाग में गरीब आदिवासियों के साथ फर्जीवाड़ा किया जाता है। अब इसके पीछे किसका हाथ है और किसकी क्या भूमिका है, यह अलग जांच का विषय है और इससे किसको क्या फायदा है, यह सर्वविदित है। सबसे पहले तो सरपंच महेश रावत और उनके भाई देवेन्द्र के अतिक्रमण को लेकर सीधी और ठोस कार्रवाई होना जरूरी है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 08 मई 2024