लखनऊ (हेडलाइन) / श्री राम महेश मिश्र । श्री सुब्रत राय सहारा का निधन देशवासियों, विशेष रूप से लखनऊ के वासिंदों के लिए एक दु:खद घटना है। हमारा उनका ज्यादा सम्पर्क नहीं रहा। केवल एक बार ताज होटल में उनसे भेंट हुई थी, तब उनके साथ सिनेस्टार श्री अमिताभ बच्चन भी थे। लेकिन एक ऐसी घटना, जिसका उल्लेख मेरे जीवन संघर्षों पर लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक "असाध्य का एक साधक : राम महेश मिश्र" में भी किया गया है, हमारे लिए अविस्मरणीय बन गई है। 

बात लगभग दो दशक पुरानी है। श्री सुब्रत राय जी की बड़ी बहिन का निधन हुआ। अन्तिम यात्रा गोमती तट स्थित भैंसाकुंड घाट पहुंची। चिता को अग्नि दे दी गई, तो वह शमशान घाट की दीवारों व सीढ़ियों आदि पर गायत्री परिवार द्वारा लिखवाए गए मानवोत्तर जीवन से जुड़े सदवाक्य घूम-घूमकर पढ़ने लगे। उन्होंने तत्कालीन महापौर डॉ. सतीश चन्द्र राय से उस लेखन के बारे में पूछा। मेयर डॉ. राय ने उन्हें बताया कि गायत्री परिवार के श्री राम महेश मिश्र द्वारा अभी हाल ही में यह स्लोगंस, नगर निगम से अनुमति लेकर लिखवाए गए हैं। श्री सुब्रत राय ने सहारा परिवार के वेलफेयर सेल प्रमुख श्री सुधीर चौधरी को बुलाकर कहा- मेयर साहब के पीए से मिश्रा जी का नम्बर लो और उन्हें कपूरथला आमंत्रित करो।  

हमें याद है, हम अलीगंज स्थित कपूरथला कॉम्प्लेक्स पहुंचे थे, एक रणनीति बनी थी, भैंसाकुंड शमशान घाट के पुनर्निर्माण की और अनूठी सुसज्जा की। बाद में वहां सहारा परिवार के करोड़ों रुपए लगे, और एक ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न हुआ, बैकुंठधाम नाम से वह स्थल प्रसिद्ध हुआ। आज वहां सुन्दर घाट, व्यवस्थित चितास्थल,  बैठने के बहुत बेहतर स्थान, बेंच, वाटिकाएं, विशाल पार्किंग स्थल आदि उपलब्ध हैं। सहारा परिवार ने वहां भारी मात्रा में वृक्षारोपण भी कराया है। परम पूज्य गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा जी की विचार संपदा को नमन करता हूं, जिनसे सहाराश्री प्रभावित एवं प्रेरित हुए थे।

सदाशिव की विशाल प्रतिमा के सामने सुन्दर सा फव्वारा सभी कुछ आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यहां तक कि अनेक लोग ध्यान एवं साधना के उद्देश्य से भी वहां पहुंचने लगे हैं। हमारे सुझाव पर वहां बनवाई गई तीन दुकानों में से एक में नगर निगम का कार्यालय चलता है। एक दुकान में युगऋषि पूज्यश्रेष्ठ आचार्य श्रीराम शर्मा जी का मरणोत्तर जीवन से जुड़ा साहित्य रखा गया है, जिसका संचालन गायत्री ज्ञान मन्दिर इन्दिरानगर द्वारा आज भी किया जा रहा है। आगंतुक वह साहित्य लेकर जाते हैं। बैकुंठधाम के पुनर्निर्माण के कारण हमारे द्वारा 2 कार्यकर्ताओं को लगाकर 9 दिन में लिखवाये गए जो सद्वाक्य मिट गए थे, उन्हें मजबूत लोहे की तख्तियों पर लिखवाकर और बड़े सुन्दर से स्टैण्ड बनवाकर सहारा परिवार ने आज तक जीवंत रखा हुआ है, इसके लिए हम सहारा परिवार की आत्मीय सराहना करते हैं।

कीर्तिशेष श्रीयुत सुब्रत राय सहारा की प्रगतिशील एवं प्राणवान जीवसत्ता को हम सबके श्रद्धा सुमन। उनके अभिन्न अंग श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव से हमें लखनऊ तथा ऋषिकेश में कई बार मिलने तथा मंच साझा करने का सुअवसर मिला है। इस परिवार ने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी प्रगति की है। ओपी जी ने एक बार अपने कार्यालय में, वृहद गायत्री परिवार की संरचना के बारे में मुझसे सुनकर, हमसे कहा था- मिश्राजी! छः लाख कार्यकर्ताओं की संख्या वाले सहारा परिवार में आज तक कोई यूनियन नहीं बनी। क्योंकि हम सभी अपनों का समुचित ध्यान रखते हैं। अपने कार्यकर्ता की अपेक्षाओं से अनेक गुना ज्यादा। सहारा परिवार के उन सभी अभूतपूर्व प्रयत्नों को भी हमारे नमन।

-🖋️ राम महेश मिश्र , अध्यक्ष एवं संस्थापक , भाग्योदय फाउंडेशन , नई दिल्ली एवं लखनऊ  M. 09711196952  ,  09971324994